समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नवरात्रि का पर्व शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और विविध पूजन सामग्रियों का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पूजन सामग्री सुपारी भी है, जिसे धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष स्थान प्राप्त है।


सुपारी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सुपारी को श्रीफल (आध्यात्मिक फल) माना जाता है। इसे अखंडता, शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के दौरान सुपारी को विशेष रूप से पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है और देवी को समर्पित किया जाता है।
नवरात्रि पूजन में सुपारी का उपयोग
कलश स्थापना में –
सुपारी को पूजा के कलश के ऊपर नारियल के साथ रखा जाता है, जिससे यह देवी शक्ति का प्रतीक बन जाता है।
अक्षत और रोली के साथ –
सुपारी को अक्षत (चावल) और रोली के साथ देवी को अर्पित किया जाता है, जिससे पूजा पूर्ण मानी जाती है।
पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए –
विवाहित महिलाएं सुपारी की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
अखंड सौभाग्य का प्रतीक –
सुहागिन स्त्रियां सुपारी को अपनी श्रद्धा अनुसार देवी को चढ़ाकर सौभाग्य की कामना करती हैं।
सुपारी चढ़ाने से मिलने वाले लाभ
- यह देवी लक्ष्मी और गणपति दोनों की कृपा प्राप्ति का साधन माना जाता है।
- यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
- व्यापार और घर में आर्थिक समृद्धि बनाए रखने में सहायक होता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि में सुपारी की पूजा केवल परंपरा नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। देवी शक्ति की कृपा पाने और सुख-समृद्धि के लिए श्रद्धालु इसे श्रद्धापूर्वक पूजा में शामिल करते हैं।





सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें
👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें
हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440