सड़क किनारे सूख रहे पौधों की बदहाली, पर्यावरणविद डॉ. आशुतोष पन्त ने जिलाधिकारी से की गुहार

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समाचार सच, रुद्रपुर। गर्मी की शुरुआत के साथ ही रुद्रपुर-हल्द्वानी मार्ग पर सिडकुल के पास लगाए गए हजारों पौधे सूखने लगे हैं। सड़क डिवाइडर पर लगे ये पौधे अब बेमौत मरने की कगार पर हैं। पर्यावरणविद और पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. आशुतोष पन्त ने इन पौधों की दुर्दशा को लेकर गहरी चिंता जताई है और जिलाधिकारी से तत्काल सिंचाई व्यवस्था कराने की मांग की है।

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डॉ. पन्त ने बताया कि 5 अप्रैल को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित जिला गंगा समिति, उधमसिंहनगर की बैठक में भाग लेने के दौरान उन्होंने यह स्थिति देखी। उन्होंने बताया कि दो वर्ष पूर्व ळ-20 समिट से पहले पंतनगर से लेकर रामनगर तक सड़क डिवाइडरों पर सुंदर फूलों के पौधे रोपे गए थे, जिन पर लाखों रुपये खर्च किए गए। आज स्थिति यह है कि इन पौधों को पानी तक नसीब नहीं हो रहा।

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उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब पौधों को इस प्रकार उपेक्षित किया गया हो। पिछले वर्ष भी नगर निगम की सहायता से कुछ प्रयास हुए थे, लेकिन तब तक लगभग 35 से 40 प्रतिशत पौधे सूख चुके थे। इस वर्ष भी गर्मी की शुरुआत में ही वही स्थिति बन गई है।

डॉ. पन्त ने बताया कि उन्होंने एक बार व्यक्तिगत प्रयास करते हुए दो टैंकर पानी से पौधों की सिंचाई भी करवाई थी, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं हो सकता। उनका कहना है कि जब जिम्मेदार विभागों को बजट मिलता है और यह उनकी ड्यूटी है, तो फिर वे अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से पीछे क्यों हट रहे हैं?

उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सड़कों और डिवाइडरों की देखरेख उन्हीं की जिम्मेदारी है, लेकिन वे आंखें मूंदे बैठे हैं। अन्य शहरों जैसे देहरादून, दिल्ली या बरेली में डिवाइडर पर लगे पौधों की नियमित देखरेख होती है, लेकिन उधमसिंहनगर जिले में यह संवेदनशीलता नदारद है।

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डॉ. पन्त ने सवाल उठाया कि क्या हमारी सामाजिक चेतना इतनी कमजोर हो गई है कि रोजाना हजारों लोग इन सूखते पौधों के बीच से गुजरते हैं, लेकिन किसी की नजर इन पर नहीं जाती?

जिलाधिकारी ने इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। अब देखना यह है कि जिम्मेदार विभाग इस ओर कब तक कदम उठाते हैं। यदि जल्द पानी की व्यवस्था नहीं हुई, तो इन पौधों का बचना मुश्किल होगा।

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