समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। ज्योतिष और वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार 08 अप्रैल 2024 सोमवार को होने वाला सूर्य ग्रहण मुसीबत वाला माना जा रहा है, क्योंकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण रहेगा और इसी के साथ 3 अनोखी घटना घटेगी। हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा परंतु जहां यह नजर आएगा वहां इसका प्रभाव रहेगा।
पूर्ण सूर्य ग्रहण से धरती पर छा जाएगा अंधेरा
पहली घटना
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान एक ऐसा समय होगा जबकि साढ़े 7 मिनट के लिए पूरा अंधेरा छा जाएगा। सूर्य ग्रहण की इतनी लम्बी अवधि 50 सालों बाद लगने जा रही है।
दूसरी घटना
ग्रहण के दौरान ही आकाश में एवरेस्ट पर्वत से तीन गुना बढ़ा पी12 नाम का धूमकेतु दिखाई देगा जिसे अमेरिका ने ‘शैतान’ नाम दिया है।
तीसरी घटना
ग्रहण के दौरान ही बृहस्पति और शुक्र ग्रहों को आप अपनी आंखों से एक साथ देख सकेंगे। बृहस्पति सूर्य के उपर और शुक्र नीचे नजर आएगा।
कब से कब तक लगेगा खग्रास सूर्य ग्रहण 2024-
दिनांक – 8 अप्रैल 2024 सोमवार को रहेगा खग्रास सूर्य ग्रहण।
समय – अमेरिका में ग्रहण दोपहर 02.10 पर प्रारंभ होगा, 03.25 पर परम ग्रास होगा और 04.36 पर यह समाप्ता हो जाएगा। जबकि भारतीय समय के अनुसार रात 09.12 मिनट पर शुरू होगा और मध्यरात्रि में 01.25 बजे समाप्त हो जाएगा।
सूर्य ग्रहण की अवधि – सूर्य ग्रहण की कुल अवधि – 4 घंटे 25 मिनट रहेगी।
ग्रहण-नक्षत्र – यह ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगेगा।
कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण
यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, आर्कटिक, मेक्सिको, पश्चिमी यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में, आयरलैंड में दिखाई देगा। यह ग्रहण खासकर अमेरिका में ज्यादा दृश्यमान होगा।
सूतक काल
इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह भारत में नजर नहीं आएगा, लेकिन जहां दिखाई देगा वहां सूतक काल मान्य होगा। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व ही सूतक काल प्रारंभ हो जाता है।
दोनों ग्रहण का एक साथ प्रभाव
चंद्र ग्रहण का प्रभाव आप व्यक्ति पर आता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव राजा यानी सत्ता पर आता है। भारत में इसका प्रभाव उतना असरदार नहीं रहेगा लेकिन यह जहां नजर आएगा वहां इसका प्रभाव देखा जा सकता है। यदि 2 पूर्ण ग्रहण सूर्य और चंद्र ग्रहण यदि पास-पास पड़ रहे हैं तो ग्रहण के एक दिन पूर्व या बाद में भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है। इसी के साथ ही मानसिक बेचौनी के चलते मनुष्यों में आपसी लड़ाई भी बढ़ जाती है।

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