गणेश चतुर्थी पर अगर अनजाने में देख लिया है चांद, इस तरह करें अपना बचाव

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। ‘लोकः भाद्रशुक्लचतुर्थ्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा। अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदुःखभाग’ उपरोक्त श्लोक के अनुसार जो व्यक्ति जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पड़ेगा। उपरोक्त श्लोक के अनुसार जो व्यक्ति जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पड़ेगा।

शास्त्र गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता हैं। ऐसा गणेश जी का वचन हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाए तो उसके निवारण के निमित्त निम्नलिखित उपाय करें जिसे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा। दोष मुक्त हो जाएंगे।

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इसके अतिरिक्त करें यह उपाय

  • भागवत की स्यमंतक मणि की कथा सुने यां पाठ करें।
  • एक पत्थर अपने पड़ोसी की छत पर फेंक दीजिए।
  • शाम के समय अपने अतिप्रिय निकट संबंधी से कटु वचन बोलें तत्पश्चात अगले दिन प्रातः उससे से क्षमा मांग लें।
  • आईने में अपनी शक्ल देखकर उसे बहते पानी में बहा दें।
  • 21 अलग-अलग पेड़-पौधों के पत्ते तोड़कर अपने पास रखें।
  • मौली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाएं तथा इस मुकुट को गणपति मंदिर में गणेश जी के सिर पर सजाएं।
  • रात के समय मुहं नीचे करके और आंखें बंद करके आकाश में स्थित चंद्रमा को आईना दिखाइए तथा आईने को चौराहे पर ले जाकर फैंक दीजिए।
  • गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति पर 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट दें।
  • शाम के समय सूर्यास्त से पहले किसी पात्र में दही में शक्कर फेंट लें, इस घोल को किसी दोने में रख लें तथा इस घोले में अपनी शक्ल देखकर अपनी समस्या मन ही मन कहें तत्पश्चात इस घोल को किसी श्वान को खिला दें।
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