बढ़ती महंगाई पर गृहणियों का फूटा गुस्सा

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समाचार सच, हल्द्वानी (नीरू भल्ला)। गैस के एक बार दाम फिर से बढ़ गये हैं इससे मध्यम वर्ग के लोगों के लिए परेशानी बढ़नी तय है। फरवरी में जहां दो बार गैस के दाम बढ़ गये हैं वहीं दाल आदि के दाम बढ़ने से यह आम आदमी की थाली से बाहर होते जा रही है। इस बारे में समाचार सच की सह सम्पादक नीरू भल्ला ने हल्द्वानी के विभिन्न गृहणियों से महंगाई के बारे में उनके विचार जाने-

अरूणा टंडन (सामाजिक कार्यकत्री)-
अरूणा टंडन का कहना है कि महंगाई से आम व निर्धन आदमी पर तो बोझ बढ़ना तय है। वही इस मामले में सरकार को भी पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। कोरोेना के कारण अर्थव्यवस्था पर पहले ही लोड है वहीं अन्य समस्याओं से भी निपटने के लिए बजट की आवश्यक्ता होती है। सरकार कहीं न कहीं से तो बजट का इंतजाम करेगी। अन्य विकल्प भी नहीं है।

आशा शुक्ला (सामाजिक कार्यकत्री)-
आशा शुक्ला का कहना है कि बढ़ते हुए ईधन के दामों से आम आदमी के लिए परेशानी होना स्वाभाविक है। गैस के अलावा अन्य चीजों के दाम भी बढ रहे हैं। वहीं दालों के दामों ने तो इसे आम आदमी के थाली से दूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को गरीब आदमियों का ख्याल रखना चाहिए और उसी हिसाब से महंगाई निर्धारित करनी चााहए।

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बबीता बिष्ट (गृहिणी) काठगोदाम-
गैस के दाम में बढ़ोत्तरी के पीछे सारे राजनीतिक दल दोषी हैं। सरकार एक तरफ तो गैस के रेट बढ़ा देती है वहीं कुछ दिन बाद इसमें कुछ कटौती की जाती है। इससे प्रभावित होकर लोग उस सरकार की तारीफ में लग जाते हैं। इसके लिए वे लोग भी बराबर के दोषी हैं इस मामले में सरकार का समर्थन करती है।

आशा दरम्वाल (सामाजिक कार्यकत्री)
महंगाई सभी क्षे़त्रों में बढ़ रही है। सरकार को इन वस्तुओं में सब्सिडी देनी चाहिए। सरकार इस मामले में गरीबों व आम आदमी के समस्यसाओं को दूर करने के लिए आगें आये। उनका कहना है घर के बजट को देखना गृहिणी का ही काम होता है इसलिए गृहिणी को भी इस मामले में रियायत देनी चाहिए।

सिद्धि सुयाल (उद्यमी)
घरेलू गैस के दाम में 49 रुपए की वृद्धि होने से महिलाओं के घर के बजट में भी इजाफा हो जाएगा। खाद्य पदार्थाे के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। प्याज साठ रुपए किलो बिक रहा है। मंहगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। मंहगाई का आलम ये है कि आटा दाल चावल व अन्य खाद्य पदार्थाे के दाम आसमान छू रहे हैं। सरसों का तेल डेढ़ सौ के पार हो गया जो कि चिंतनीय है।

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काजल खत्री (महिला जिलाध्यक्ष, उत्तराखण्ड क्रांतिदल)
एक तरफ भाजपा कहती है कि अच्छे दिन आयेंगे लेकिन सरकार बनने के बाद अच्छे दिन आने के बजाय तमाम समस्याएं बढ़ गयी है। मसलन महंगाई का ही मामला लें तो आाज हर दिन तेलों व गैसे के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इससे गरीब लोगों के लिए परेशानियां बढ़नी तय है। सरकार को बढ़े हुए ईधनों के दाम को घटाना चाहिए।

नीमा गोस्वामी (सामाजिक कार्यकत्री)
गैस के दाम बढ़ने से गृहणियों का बजट भी गढबढ़ा जाता है। सरकार को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। एक महीने में दोबार गैस का दाम बढ़ गया है इससे आम व निर्धन लोगों का जीना मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने सरकार से इस मामले में कार्रवाई की अपील की है।

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