समाचार सच, नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के प्रधानमंत्री ने 22 मार्च रविवार को देश में जनता कर्फ्यू का आहवान किया है। यह कर्फ्यू जनता द्वारा खुद के लिये कर्फ्यू होगा। हम आपकों बताते है कि इस जनता कर्फ्यू के माध्यम से देश का एक-एक व्यक्ति कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। जनता कर्फ्यू का मुख्य उद्देश्य जनता को किसी दूसरे के संपर्क में आकर संक्रमित होने से रोकने का है। हम आपको इसे एक उदाहरण से समझाते हैं –
मान लीजिए चार लोगों हैं- ए, बी, सी, डी
ए व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित है। चूंकि, कोरोनावायरस विदेशों से फैला है। इसलिए ‘ए’ यानी विदेश से देश में आए नागरिक को ढूंढना काफी आसान है। हालांकि, मान लीजिए कि ‘ए’ किसी तरह घर पर आइसोलेशन के नियम तोड़ कर ‘सी’ से मिलने गया। इस दौरान रास्ते में उसका संपर्क एक अनजान शख्स ‘बी’ से हुआ। इस तरह के संपर्क एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, पब्लिक टॉयलेट, टैक्सी, सैलून, शॉपिंग मॉल और अन्य भीड़भाड़ वाले इलाके में हो सकता है।
‘बी’ से संपर्क में आने के बाद ‘ए’ ‘सी’ से मिलने पहुंचा। यह ‘सी’ उसके परिवार, दोस्त, साथी, पड़ोसी, फूड डिलीवरी वाले, सिनेमा काउंटर के स्टाफ और बैंक कैशियर हो सकते हैं। सरकार ‘ए’ से पूछताछ के बाद ‘सी’ का पता लगा सकती है। ऐसे कितने भी लोग हों, उन्हें क्वारैंटाइन यानी अलग-थलग रखा जा सकता है।
‘डी’ वह शख्स है, जो संक्रमण के माहौल के बीच घर से अब तक बाहर ही नहीं निकला और पूरी तरह स्वस्थ है।
लेकिन सरकार और जांचकर्ताओं के सामने समस्या उस ‘बी’ को ढूंढने की है, जिससे ‘ए’ बीच रास्ते में कहीं संपर्क में आया। क्योंकि ‘बी’ के संक्रमण के बारे में खुद उसे भी नहीं पता है।
मान लीजिए ‘डी’ किसी काम से घर से बाहर निकलता है। इस दौरान उसका संपर्क ‘बी’ से हो जाता है। ऐसे में अब वह भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया। यानी अपनी स्थिति के बारे में एक अनजान शख्स ‘बी’ से संक्रमण दूसरे अनजान शख्स ‘डी’ तक पहुंच गया।
इस स्थिति में अगर ‘ए’ का पता लगा कर उन्हें क्वारैंटाइन में रख लिया जाए, तो पहले ‘बी’ को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। लेकिन अगर संक्रमण ए, बी और सी तीनों में फैल गया हो तो जनता कर्फ्यू के जरिए तीनों खुद को घरों में ही बंद कर लेंगे। ऐसे में अधिकारियों को ‘बी’ को ढूंढने का समय मिल जाएगा।
चूंकि, आमतौर पर कोरोनावायरस के लक्षण दिखने में 14 दिन का समय लगता है। ऐसे में अगर लोग जनता कर्फ्यू के जरिए खुद को कुछ दिन और अलग-थलग रख सके, तो अधिकारी आसानी से एक से दो हफ्ते के अंदर अन्य सभी पीड़ित ‘बी’ की तलाश कर सकते हैं। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। यानी लोगों के घर में रहने से संपर्क कम होगा और दूसरों में संक्रमण का खतरा कम रहेगा। इसके साथ ही उन लोगों की पहचान भी आसानी से हो सकेगी, जो पहले ही कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। (साभार: जनसत्ता से )
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