उत्तराखण्ड में मीरा की तरह हल्द्वानी की 21 साल की हर्षिका ने श्रीकृष्ण को समर्पित किया जीवन, धूमधाम से रचाई शादी

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समाचार सच, हल्द्वानी। देशभर में चल रहे शादी-विवाह के सीजन के बीच आज गुरूवार को उत्तराखण्ड के हल्द्वानी (Haldwani) में एक अनूठी शादी हुई, जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है। इसे देखने के लिए लोग ही की भी भीड़ उमड़ी। हल्द्वानी के इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी पूरन चंद्र पंत की 21 वर्षीया दिव्यांग पुत्री हर्षिका पंत ने आज अपने इष्ट भगवान कन्हैया यानी कान्हा जी के साथ सात फेरे लिए। इस शादी की धूम कई दिनों से चल रही थी। शादी से पहले हल्दी से लेकर मेंहदी और तेल से लेकर मंडप तक के सारे उत्सव हुए और आज तीन सौ से अधिक लोगों की उपस्थिति में पाणिग्रहण संस्कार हुआ. जिसमें शिवानी ने अपने प्रिय कान्हा जी के साथ फेरे लिए और पूरी तरह से कान्हा जी की हो गईं। भगवान श्री कृष्ण के साथ पूरे रीति-रिवाज से शादी हुई।

बता दे कि हर्षिका पंत के विवाह की तैयारियां छह माह से चल रही थी। उनके पिता पूरन चंद्र पंत ने पुत्री के विवाह के लिए वृंदावन में निमंत्रण भेजा और वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति तीन जुलाई को धूमधाम से उनके घर पहुंची। बीते दिवस बुधवार महिला संगीत कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आज गुरूवार को बारितियों का हर्षिका पंत के परिजनों और इष्ट मित्रों ने स्वागत किया। इसके बाद शादी की रस्में पूरी हुईं और हर्षिका ने कान्हा जी के साथ सात फेरे लिए। इस मौके पर जुटी सैकड़ों महिलाओं ने मंगल गीत गाए। साथ ही नृत्य भी किया। इस विवाह को दो पंडितों ने सम्पन्न कराया। शादी समारोह में शामिल हुए अतिथियों के लिए खानपान से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी जुटाई गई थी। विदाई होने के बाद युवती कान्हा की मूर्ति को लेकर कार से रिश्तेदार के यहां पहुंची।

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हर्षिका के पिता पूरन चंद्र पंत व्यवसायी हैं और बागेश्वर में उनकी दुकान है। पैरालाइज होने और हल्द्वानी में इलाज चलने के कारण वर्ष 2021 में उन्होंने यहां घर बना लिया। उनके दो बच्चे हैं जिसमें बेटी बड़ी है और बेटा छोटा है। उन्होंने बताया कि बेटी का बचपन से कान्हा के साथ ऐसा लगाव रहा है कि वह उन्हीं से विवाह की जिद बांध बैठी थी। बेटी की इच्छा का सम्मान करने के लिए परिवार ने यह फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण की दुल्हन बनने के लिए युवती 15 सालों से करवा चौथ की व्रत कर रही थी।

हर्षिका की माता मीनाक्षी पंत बताती हैं कि बचपन से ही उनकी बेटी में भगवान श्रीकृष्ण को लेकर प्रेमभाव है। वो बंद कमरे में मूर्ति के साथ बात करती हैं। अब भगवान कृष्ण को अपना दामाद बनाया है। आज से उनके घर में भगवान कृष्ण विराजमान रहेंगे।

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कक्षा पांच तक की शिक्षा ग्रहण करने वाली हर्षिका बीती 15 सालों से अपने हृदय में भगवान श्रीकृष्ण को संजोए बैठी है। लेकिन हर्षिका अपने ससुराल (वृंदावन) नहीं गई। बल्कि, घर वाले भगवान श्रीकृष्ण को घर जमाई बनाकर अपने घर रख लिया। हर्षिका और उसका पूरा परिवार इससे शादी से बेहद खुश हैं।

हर्षिका का कहना है कि जैसे मीराबाई ने यौवन काल से लेकर मृत्यु तक श्रीकृष्ण को ही अपना सब कुछ माना था, उसी तरह वह भी कान्हा की दीवानी हैं। वह कहती हैं कि लड्डू गोपाल से विवाह करने का बचपन से ही मेरा एक सपना था। अक्सर कान्हा ही उसके सपने में आते हैं और सपने में शादी की रस्में होती हैं। जिसे वो अब हकीकत का रूप देने जा रही है। मैंने अपना पूरा जीवन लड्डू गोपाल को सौंप दिया है। मैं किसी दूसरे के घर नहीं जाना चाहती थी। जिसमें मुझे यह जीवन दिया है उसे ही यह जीवन समर्पित करना था और आज से मैं पूरी तरह उन्हीं की हो गई। अब उन्हीं की भक्ति और साधना में ही अपना बाकी जीवन गुजारुंगी।

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