
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को परम कल्याणकारी माना गया है, क्योंकि इसका पाठ करने से मनुष्य को चमत्मकारिक रूप से कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के मन्त्र से सिद्ध है और इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती। यह अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी होता है। इस स्त्रोत के पाठ से मनुष्य के पांच बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।





यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है। यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ मनुष्य को कठिन लगे या पढ़ने का समय न हो तो उसे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ये सरल होने के साथ ही कम समय में बहुत ही प्रभावकारी असर दिखाता है। मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है।
जानें, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ से मिलने वाले पुण्यलाभ
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ से मनुष्य को आत्मिक शांति मिलती हैं और उसकी वाणी और मन को शक्ति प्राप्त होती है। इस स्त्रोत के पाठ से अंदर से ऊर्जा मिलती है। ग्रहों से मिलने वाले कष्ट, तंत्रं-मंत्र का असर और आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ ऐसे करें
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ मनुष्य अपनी सुविधा अनुसार किसी भी वक्त कर सकता है, लेकिन यदि इसे शाम की आरती के बाद किया जाए तो यह बहुत ही तेजी से असर दिखाता है। इसे रात्रि के समय भी किया जा सकता है। स्त्रोत के पाठ के लिए देवी के समक्ष दीपक जला ले और लाल आसन पर लाल वस्त्र पहन कर बैठ जाएं। इसके बाद देवी को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ एकांत में और शांति से करें। जल्दीबाजी में इस पाठ को बिलकुल न करें।

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