समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शुक्रवार, 5 जुलाई को आषाढ़ मास की अमावस्या (हलहारिणी) है। अमावस्या का महत्व भी एक पर्व की तरह ही है। इस दिन तीर्थ दर्शन और नदियों में स्नान करने की परंपरा है, हालांकि अभी बारिश का समय है तो नदी स्नान करते समय सावधानी रखनी चाहिए। नदी स्नान न कर पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अमावस्या पर देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने के साथ ही दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करना चाहिए। जानिए आषाढ़ अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
- अमावस्या पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नमः मंत्र जपते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
- घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश पूजन के बाद शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन का लेप करें। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमरू शिवाय मंत्र जपें। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
- भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- दोपहर में पितरों को धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालकर धूप दें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करते रहना चाहिए।
- अमावस्या तिथि पर सूर्यास्त के बाद भी घर के मंदिर में देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें। कुमकुम से तिलक करें। पूजन सामग्री चढ़ाएं। श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- गणेश पूजा के बाद लक्ष्मी जी और विष्णु जी का पूजन करें। देवी-देवता की प्रतिमा का जल से, फिर केसर मिश्रित दूध से और फिर जल से अभिषेक करें। लक्ष्मी जी को लाल चुनरी ओढ़ाएं। विष्णु जी को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल चढ़ाएं। तिलक करें। इत्र चढ़ाएं। अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहें। देवी लक्ष्मी के मंत्र ऊँ महालक्ष्म्यै नमः का भी जप करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें।
- हनुमान जी के मंदिर में दीपक जलाएं और सुंदरकांड के साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो राम नाम का जप भी कर सकते हैं।


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