सुमित्रानंदन पंत जयन्ती पर हल्द्वानी में कवि सम्मेलन और विचार गोष्ठी का आयोजन, प्रकृति और राष्ट्रप्रेम से गूंजा मंच

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समाचार सच, हल्द्वानी डेस्क। प्रसिद्ध हिंदी कवि एवं प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती के अवसर पर अरुणोदय संस्था, हल्द्वानी के सौजन्य से एक भव्य कवि सम्मेलन एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन अरुणोदय श्रीमती आनंदी देवी रावत धर्मशाला परिसर, नवाबी रोड, हल्द्वानी में संपन्न हुआ।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. पी.सी. बाराकोटी थे तथा अध्यक्षता डॉ. पुष्पलता जोशी ‘पुष्पांजलि’ ने की। दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. उमाशंकर साहिल, डॉ. के.पी. सिंह ‘विकल’, अशोक ‘अंजान’, विवेक बादल एवं मनीष पंत ने संयुक्त रूप से किया।

कवि सम्मेलन का संचालन बिपिन चंद्र पांडे ने किया। उन्होंने उत्तराखंड की महिमा का गुणगान करते हुए कहा ‘मेरे उत्तराखंड में चमन ही चमन है, देवभूमि है, इस धरा को नमन है।’ इस अवसर पर विभिन्न कवियों ने अपनी सशक्त कविताओं से श्रोताओं को भावविभोर किया। डॉ. उमाशंकर साहिल ने कहा ‘जनम जनम में देव भूमि में बसेरा हो, हसीन वादियों में एक घर भी मेरा हो।’ डॉ. के.पी. सिंह ष्विकलष् ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कविता सुनाई ‘तिरंगे से मुहब्बत का ये जज्बा मर नहीं सकता, कभी भी तोप, बम, बंदूक से मैं डर नहीं सकता।’ प्रो. पी.सी. बाराकोटी ने कविता को उत्सव का रूप देते हुए कहा ‘कविता तुम यों ही खिलखिलाती रहना, कविता तुम यों ही मुस्कुराते रहना।’ डॉ. पुष्पलता जोशी ष्पुष्पांजलि’ ने सुमित्रानंदन पंत को स्मरण करते हुए कहा प्रकृति की सुंदर वादी में खिला था एक ब्रह्म कमल।’ अशोक अवस्थी ‘अंजान’ बोले ‘सख्तियां ज़िंदगी को बेमुरव्वत बना गई, वरना हम भी रो देते यहाँ बात-बात पर।’ मनीष पंत ने सामाजिक व्यंग्य प्रस्तुत किया ‘ख्वाहमखा की जगह हंसाई हो रही है।’ बादल बाजपुरी ने पर्वतीय जीवन का चित्र खींचा
‘ हरी भरी होती है पर्वत की चोटियां, चूल्हे पे सिकती हैं यहाँ पे रोटियां।’ जीवन जोशी ‘विनायक’ ने वातावरण की सुंदरता पर कविता सुनाई ‘बादल जो आए, नभ में हैं छाए, घिर आईं काली घटाएं।’ इस अवसर पर डॉ. दीपा कांडपाल ने सुमित्रानंदन पंत की रचनाओं पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया।

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कार्यक्रम में कर्नल आर.पी. सिंह, कैप्टन कैलाश, नवीन चंद्र तिवारी, बी.बी. जोशी, जीवन सिंह रावत, लतेश मोहन, कैलाश तिवारी, नारायण दत्त जोशी सहित अनेक साहित्यप्रेमी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन भावभीनी सराहना और राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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