समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। पितृ पक्ष के 16 श्राद्ध का छठा दिन 23 सितंबर 2024 सोमवार के दिन रहेगा। इस दिन षष्ठी का श्राद्ध रखा जाएगा। पितृपक्ष में पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 22 सितम्बर 2024 को अपराह्न 03 बजकर 43 मिनट से।
चतुर्थी तिथि समाप्त: 23 सितम्बर 2024 को रात्रि 10 बजकर 50 मिनट तक।
22 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त-
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11.49 से 12.37 तक।
कुतुप काल – दोपहर 11.49 से 12.37 तक।
रोहिणी मुहूर्त – दोपहर 12.37 से 01.26 तक।
अपराह्न काल- अपराह्न 01..26 से 03.51 तक।
श्राद्ध पर क्या करें
- पितरों के लिए घी का दीप जलाएं, चंदन की धूप जलाएं। पितरों का पूजन करें। देवताओं को सफेद फूल, सफेद तिल, तुलसी पत्र समर्पित करें।
- गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ मिश्रित जल की जलांजलि देते हैं। इसके लिए एक भगोने में जल ले लें और यज्ञोपवित धारण करके तर्पण करें।
- पहले पूर्वाभिमुख होकर देवताओं को, उत्तर में मुख करके देवताओं को और दक्षिण में मुख करके पितरों को तर्पण करें। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
- सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है।
- पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ऊँ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।’
- इसके बाद पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म जरूर करें। अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है।
- अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाए। षष्ठी श्राद्ध में 6 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन जमई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें।
- गुरुढ़ पुराण के अनुसार श्राद्ध करने से पूरे कुल में कोई दुरूखी नहीं रहता। षष्ठी का श्राद्ध विधिवतरूप से करने से सभी तरह के कार्य सफल होते हैं।
सप्तमी के श्राद्ध पर क्या नहीं करें
इस दिन गृह कलह न करें, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करना है तो पितर नाराज हो जाते हैं। शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाता हैं।
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