समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सनातन धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है और इसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन तर्पण, श्राद्ध और दान करने से केवल हमारे पितरों को तृप्ति ही नहीं मिलती, बल्कि उनसे जुड़ा पितृ दोष भी शांत होता है। जब पितृ प्रसन्न होते हैं, तो सात पीढ़ियों तक परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। कहते हैं कि यह पितरों को प्रसन्न करने का पितृ पक्ष में आखिरी अवसर होता है. इस दिन किए गए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और दान से पितर प्रसन्न होते हैं। परिणामस्वरूप, सात पीढ़ियां खुशहाल रहती हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर किन उपायों को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।
पितृ दोष क्या है?
सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के उपाय
तर्पण और पिंडदान- सर्वपितृ अमावस्या के दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय के किनारे पितरों का तर्पण करें. इस दौरान तिल, जौ, कुश और जल से पितरों को तर्पित करने से वे संतुष्ट होते हैं। पिंडदान से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है। इसलिए ऐसा करना अनिवार्य है।
पीपल वृक्ष की पूजा-
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं. दीपक जलाकर ‘ऊँ पितृदेवाय नमः’ मंत्र का जप करें. मान्यता है कि पीपल में सभी देवताओं और पितरों का वास होता है। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
गाय को भोजन-
सर्वपितृ अमावस्या के अवसर पर गाय को हरा चारा, गुड़ या रोटी खिलाएं। यह कर्म पितरों को प्रसन्न करता है और वंश में सुख-समृद्धि लाता है। इसके साथ ही अगर पितृ दोष है तो उससे भी मुक्ति मिलती है।
कौवों और पितरों का संबंध-
कौए को अन्न खिलाना पितरों को अर्पण करने के समान माना गया है। अमावस्या के दिन पका हुआ भोजन कौवों को अवश्य खिलाएं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है।
गरीब और ब्राह्मण को दान-
सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान का भी विशेष महत्व है। ऐसे में इस दिन वस्त्र, अनाज, तिल, स्वर्ण, दक्षिणा और आवश्यक वस्तुएं ब्राह्मण व जरूरतमंदों को दें। दान करते समय “पितृ तृप्त्यर्थ” बोलकर दें।
पितृ गायत्री मंत्र का जप-
सर्वपितृ अमावस्या के दिन ‘ऊँ सर्वपितृदेवाय नमः’ या पितृ गायत्री मंत्र का 108 बार जप करने से पितृ दोष शांत होता है। इसके साथ ही ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
सात पीढ़ियों की खुशहाली के लिए विशेष उपाय
अमावस्या की सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूर्वजों का स्मरण करें. घर के आंगन या छत पर घी का दीपक जलाकर पितरों को समर्पित करें। भोजन का पहला अंश पितरों के नाम निकालकर गाय, कौए या चींटियों को अर्पित करें। पितरों का नाम लेते हुए संकल्प करें कि उनके आशीर्वाद से आने वाली पीढ़ियां भी सुखी रहें।
 
 
 
 
 

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