समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया गया है। पितरों के श्राद्ध तथा पिंडदान के लिए इस तिथि को सबसे उत्तम माना गया है। प्रतिमाह कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या आती है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी, सूर्यदेव, चंद्रदेव और पितृ देव की पूजा करने का विधान चला आ रहा है। अमावस्या के दिन कुछ मंत्रों का जाप विशेष सफलता की प्राप्ति करवाता है। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। चलिए जानते है वैशाख अमावस्या कब है? और विशेष पूजा मंत्र कौनसे है? साथ ही जानेंगे इस दिन का महत्व-
वैशाख अमावस्या कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 2025 में वैशाख माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अप्रैल को पड़ रही है। इस तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल सुबह 4 बजकर 49 मिनट पर हो जायेगी और 28 अप्रैल देर रात 1 बजे इसका समापन होगा।
वैशाख अमावस्या पूजा मंत्र
- पितृ देवतायै नमः
- पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
- देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः
- देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।
- आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
वैशाख अमावस्या का महत्व
पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण के लिए वैशाख माह की अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। अमावस्या के दिन भगवान श्री हरि नारायण की पूजा करने, पवित्र नदियों में स्नान करने और जरूरतमंदों की मदद करने से धन-धान्य बढ़ता है।





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