समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। साल में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। इसमें से दो नवरात्र गुप्त रूप से मनाई जाती है, जबकि दो चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रकट तौर से मनाई जाती है। शारदीय नवरात्र का त्योहार हर साल अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है और 9 से 10 दिनों तक चलता है। इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है और 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ सम्पन्न होगी। इस साल के नवरात्र के पर्व के साथ कई विशेष बातें जुड़ रही हैं, जैसे इस बार तृतीया तिथि दो दिन लगने की वजह से नवरात्र का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाएगा। यानी महानवमी की पूजा 1 अक्टूबर 10वें दिन की जाएगी। वहीं, विजयादशमी का त्योहार 11वें दिन 2 अक्टूबर को होगा।
प्रतिपदा पर हस्त नक्षत्र में होगी घटस्थापना
शारदीय नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा तिथि से होती है, जो इस साल 22 सितंबर को है। इस दिन सुबह से ही हस्त नक्षत्र लग रहा है। इस दौरान कलश स्थापना बहुत शुभकारी मानी जाती है। इसके साथ इस दिन पूरे दिन शुक्ल योग भी मिल रहा है।
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 21 सितंबर, 2025 मध्यरात्रि 1.24 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 सितंबर, 2025 मध्यरात्रि 2.55 बजे
हस्त नक्षत्र: सुबह 11.55 बजे के बाद
घटस्थापना मुहूर्त
अमृत मुहूर्त: सुबह 6.19 बजे से 7.49 बजे तक
शुभ मुहूर्त: सुबह 9.14 बजे से 10.49 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.55 से 12.43 बजे तक रहेगा
हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
मां दुर्गा का वाहन तो सिंह है, लेकिन धरती पर उनके आगमन के दिन से उनका वाहन तय होता है। इस बार मां का आगमन सोमवार के दिन हो रहा है, तो उनका वाहन हाथी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवार या रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने पर मां हाथी पर आती हैं, जो वर्ष में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है। गज वाहन पर मां दुर्गा का आगमन शुभ माना जाता, क्योंकि यह सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
वहीं, मंगलवार या शनिवार को नवरात्रि शुरू होने पर मां घोड़े पर आती हैं। मां का यह वाहन युद्ध, उथल-पुथल और बदलाव का सूचक होता है। इसी तरह गुरुवार या शुक्रवार को मां डोली पर आती हैं। यह आमतौर से अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह अस्थिरता और चुनौतियों का संकेत है। बुधवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां नौका पर आती हैं, जो आपदा से मुक्ति और जीवन में शांति का संकेत देती है।
शारदीय नवरात्रि तिथि
22 सितंबर: प्रतिपदा तिथि
23 सितंबर: द्वितीय तिथि
24 सितंबर: तृतीया तिथि
25 सितंबर: तृतीया तिथि
26 सितंबर: चतुर्थी तिथि
27 सितंबर: पंचमी तिथि
28 सितंबर: षष्ठी तिथि
29 सितंबर: सप्तमी तिथि
30 सितंबर: अष्टमी तिथि
01 अक्टूबर: नवमी तिथि
02 अक्टूबर: दशहरा

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