समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। वर्ष में चार नवरात्रि आती है। चौत्र माह में बड़ी नवरात्रि और आषाढ़ और आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि, जिसे छोटी नवरात्रि कहते हैं। पहले साधना की और दूसरी साधना और उत्सव दोनों की होती है। यह दोनों ही नवरात्रि आम लोगों के लिए है जबकि आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। यह दोनों ही तंत्र साधना की नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन माह की प्रतिपदा से प्रारंभ होती है। इस वर्ष 2021 में 6 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के बाद 7 अक्टूबर गुरुवार को नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होगा जो 15 अक्टूबर तक चलेगा।
घट स्थापना मुहूर्त
घट स्थापना का समय या मुहूर्त प्रातःकाल 06 बजकर 17 मिनट से 10 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। स्थानीय पंचांग भेद के अनुसार मूहूर्त में घट-बढ़ हो सकती है।
व्रत पारण समय
नवरात्रि का पारण 15 अक्टूबर को समय 6 बजकर 22 मिनट के बाद होगा।
डोली पर सवार होकर आ रही है माता जी
नवरात्रि के पर्व में इस बार माताजी डोली पर सवार होकर आएंगी। कहते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत यदि सोमवार या रविवार को हो तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो तो माता डोली पर सवार होकर आती है।
घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
सप्त धान्य, चौड़े मुंह का मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र मिट्टी, कलश, जल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, साबुत चावल, लाल वस्त्र, पुष्प। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है।
कैसे करें घट स्थापना
पहले मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य रखें, अब एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र पर रखें, अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें। अब कलश पूजा करें और गणेश वंदना के बाद फिर देवी का आह्वान करें।
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