


The state government should make sure arrangements to save the residents of Banbhulpura from being homeless.
विभिन्न संगठनों ने बुद्धपार्क में दिया धरना, एसडीएम के माध्यम से भेजा सीएम को मांग पत्र
समाचार सच, हल्द्वानी। विभिन्न संगठनों ने बुधवार को यहां बुद्धपार्क में धरना देकर रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले (Railway Land Encroachment Cases) पर राज्य के मुख्यमंत्री से जनहित व न्यायहित में मानवीय व नैतिक पहलुओं को संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही करते हुए हस्तक्षेप करने की अपील की और साथ ही मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार बनभूलपुरा क्षेत्र की बस्तियों को बचाने के लिए सर्वाेच्च न्यायालय में चल रहे मामलों में 5 जनवरी की सुनवाई में जनता के पक्ष में मजबूती से पैरवी करे। इस दौरान एसडीएम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे मांग पत्र में कहा कि किसी भी हाल में बनभूलपुरा वासियों के घर न उजाड़े जाएं। कोई भी परिस्थिति पैदा हो उसका समाधान करते हुए राज्य सरकार लोगों को बेघर होने से बचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे।



धरने में भाकपा माले (CPI(ML)) के उत्तराखंड राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, ‘ये बहुत ही शर्मनाक है कि बनभूलपुरा की जनता को बेघर किए जाने का फैसला होने के समय से राज्य सरकार के मुख्यमंत्री ने शर्मनाक चुप्पी साधी हुई है। न तो भाजपा सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में मजबूती से पैरवी की न ही माननीय उच्चतम न्यायालय में पैरवी करने को लेकर ये सरकार गंभीर है। राज्य के मुख्यमंत्री का हजारों की आबादी को बेघर होने को लेकर अब तक कोई बात न कहना भाजपा सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर रहा है।
क्रालोस (kralos) के टी आर पांडे ने कहा कि, उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्णय के आधार पर उत्तराखंड शासन -प्रशासन व रेलवे द्वारा बनभूलपुरा क्षेत्र की अल्पसंख्यक बहुल बस्तियों को ध्वस्त करने की कार्यवाही करने की पूर्ण तैयारी कर ली गई है। जिससे क्षेत्र की करीब 50 हजार की आबादी अपने घर उजाड़े जाने को लेकर डर-भय के साए में जी रही है। इस आबादी में हजारों की संख्या में अबोध और दुधमुंहे बच्चे ,स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों, गर्भवती महिलाओं व बीमार लोगों से लेकर बूढ़े -बुजुर्ग लोग भी शामिल हैं। यह अमानवीय और अन्यायपूर्ण है।
ट्रेड यूनियन ऐक्टू (trade union act) के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में मामले की मजबूत पैरवी न करने से और उसके पश्चात सरकार के मुखिया की चुप्पी स्पष्टता सरकार के पूर्वाग्रह की ओर संकेत कर रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि चूंकि उक्त बस्तियों में मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी बहुतायत में निवास करती है इसीलिए उक्त बस्तियों को तोड़ने के लिये कवायद की जा रही है और इस कृत्य को सरकार की मौन स्वीकृति प्राप्त है।
अंबेडकर मिशन (Ambedkar Mission) के अध्यक्ष जीआर टम्टा ने कहा कि, यह कतई अन्यायपूर्ण और अमानवीय होगा कि दशकों से रह रही बनभूलपुरा की भारी आबादी के घरों को तोड़कर इस भारी ठंड में उन्हें तड़पकर मरने को विवश कर दिया जाए। न्याय का सिद्धांत यही कहता है कि इस भरी ठंड में दुधमुंहे बच्चों, स्कूल पढ़ते बच्चों, गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों और बूढ़े -बुजुर्गों को बेघर कर उन पर अत्याचार न किया जाए और उनके जीवन को खतरे में न डाला जाये।
धरने में भाकपा माले, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, ऐक्टू, अंबेडकर मिशन, उत्तराखंड सर्वाेदय मंडल, भीम आर्मी, मूल निवासी संघ, शिल्पकार वेलफेयर सोसायटी, प्रगतिशील महिला एकता मंच, छात्र संगठन आइसा, पछास, जायडस यूनियन, संसेरा यूनियन आदि से जुड़े राजा बहुगुणा, टी आर पांडे, के के बोरा, जी आर टम्टा, नगर निगम पार्षद शकील अंसारी, मुकेश बौद्ध, इस्लाम हुसैन, डा कैलाश पाण्डेय, जोगेंदर लाल, रजनी जोशी, तौफीक अहमद, नफीस अहमद खान, हरीश लोधी, दीपक चन्याल, शराफत खान, ललित मटियाली, चन्द्र शेखर भट्ट, किशन सिंह बघरी, चंदन, महेश, बची सिंह बिष्ट, दिव्या पनेरू, प्रकाश फुलोरिया, खीम सिंह, अमीर अहमद, कमल मेहता, हसनैन, अफसरी बेगम, निर्मला शाही, मो वसीम, मियादाद, आर पी गंगोला, बालकिशन राम, भूपाल, हरीश चंद्र सिंह भंडारी, अयूब, विपिन शुक्ला, इमरान खान, अशरफ अली, मो फुरकान, आनंद सिंह, सुरेंद्र सिंह मेहता, प्रकाश सिंह मेहता, युनुस, नईम खान आदि शामिल रहे।

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