समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में इस बार का मानसून फिर कहर बनकर टूटा। बारिश और आपदा की चपेट में आकर जहां अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। भारी बरसात ने सड़कें, पुल, घर, खेत-खलिहान सब तबाह कर दिए, जिससे प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
आपदा से प्रभावित परिवारों से मिलने और राहत कार्यों की समीक्षा करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को देहरादून पहुंचे। पीएम मोदी को हवाई सर्वे करना था, लेकिन खराब मौसम के चलते यह संभव नहीं हो सका। ऐसे में उन्होंने देहरादून में बैठक कर नुकसान का पूरा ब्यौरा लिया और राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा की।
गौरतलब है कि साल 2013 की केदारनाथ आपदा के समय भी नरेंद्र मोदी, तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए, हालात का जायजा लेने उत्तराखंड आए थे। हालांकि तब भी वे मौसम की वजह से केदारनाथ नहीं पहुंच पाए थे और देहरादून से ही स्थिति की जानकारी जुटाई थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की बारिश ने राज्य को 2013 की त्रासदी की याद ताजा कर दी है। 2021, 2022, 2024 और अब 2025-लगातार इन सालों में भारी बारिश ने चारधाम यात्रा सहित पूरे प्रदेश को गहरे जख्म दिए हैं।
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का नुकसान कई मायनों में 2013 से भी बड़ा है। ऐसे हालात में अगर केंद्र सरकार से राज्य को बड़ा आर्थिक पैकेज नहीं मिलता, तो प्रभावित परिवारों की पीड़ा कम करना मुश्किल होगा।

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