समाचार सच, देहरादून। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर उत्तराखंड में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्त बनाया जाए। इस दिशा में एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित करने की योजना भी बनाई जा रही है।
दून विश्वविद्यालय में हुई अहम बैठक
यह निर्णय उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में दून विश्वविद्यालय में आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, निजी विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
मंत्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को गंभीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने संस्थानों के बीच आपसी सहयोग, संसाधनों के आदान-प्रदान और शिक्षकों की सहभागिता पर जोर दिया।
आयुष्मान कार्ड और आभा आईडी का निर्माण
राज्य सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं के लिए आयुष्मान कार्ड और आभा आईडी बनाने का निर्णय लिया है। इससे छात्रों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलेगा और डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र के जरिए उन्हें बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी।
संस्थानों की स्वायत्तता और नैक प्रत्यायन पर जोर
मंत्री रावत ने कहा कि राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्त बनाने के लिए नैक प्रत्यायन (छ।।ब् ।बबतमकपजंजपवद) को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पहल संस्थानों की गुणवत्ता को बढ़ाने और उन्हें स्वायत्तता प्रदान करने की दिशा में अहम साबित होगी।
हब एंड स्पोक और हाइब्रिड मॉडल पर फोकस
मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हब एंड स्पोक मॉडल को अपनाया जाएगा, जिसके तहत मुख्य संस्थान (हब) अन्य संस्थानों (स्पोक्स) का सहयोग करेंगे। साथ ही, हाइब्रिड मॉडल को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके तहत 40ः पाठ्यक्रम की पढ़ाई ऑनलाइन अनिवार्य होगी।
राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
बैठक में बताया गया कि छम्च् 2020 के क्रियान्वयन में उत्तराखंड सरकार के प्रयासों को भारत सरकार ने सराहा है। राज्य सरकार की कोशिश है कि अधिक से अधिक संस्थानों को स्वायत्त बनाकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों को समय पर पूरा किया जा सके।
संसाधनों का बेहतर उपयोग जरूरी
मंत्री रावत ने कहा कि शिक्षा का सीधा संबंध समाज से है, इसलिए संसाधनों का बेहतर उपयोग समाजहित के लिए किया जाना चाहिए। इसके लिए संस्थानों के बीच तालमेल और सहयोग महत्वपूर्ण है।


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