उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ ने किया मामले का खुलासा, पॉवर कारपोरेशन में हुयी अवैध रूप से नियुक्तियां

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखण्ड पॉवर कारपोरेशन लि. में टीजी-2 (वी.) के पदों पर अवैध रूप से नियमित नियुक्तियों का आरोप लगा है। उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ ने इस मामले का खुलासा करते हुए अवैध नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग उठायी है।

उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ एटक के प्रधान महामंत्री प्रदीप कंसल ने उत्तराखण्ड शासन के प्रमुख सचिव को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड पॉवर कारपोरेशन लि. में पिछले लॉकडाउन के छह महीनो में अवैध तरीकों से टीजी-2 (वी.) के पदों पर नियमित भर्ती की जा रही है जोकि बैक डोर एंट्री है। इन नियुक्तियों पर कोर्ट में केस चल रहा है। कोरोना काल में अपनी ड्यूटी को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाते हुए एवं लगभग 16-17 वर्षाे से उपनल से अल्प वेतन पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के भविष्यों के साथ धोखा है। उन्होने पत्र में कहा कि सितम्बर 2016 मे उत्तराखण्ड अधिनस्थ चयन आयोग ने समूह ‘ग’ के कुछ रिक्त पदों पर भर्ती निकाली थी, जिसमें उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम में ही टीजी-2 विद्युत व यांत्रिक के 80 पद रिक्त दिखाये गये थे। उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि. में किसी भी पद पर रिक्तियां नही थी। जनवरी 2017 में भी चयन आयोग द्वारा पुुनः समूह ‘ग’ की भर्ती निकाली गयी। इस विज्ञप्ति में भी जल विद्युत निगम में ही टीजी-2 के सितम्बर 2016 में निकली विज्ञप्ति के कोड पर ही 80 पदो पर भर्ती निकाली गयी।

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श्री कंसल ने कहा कि मार्च 2021 व जून 2021 में उसी विज्ञप्ति की लिखित परीक्षा के आधार पर कुछ लोगों को उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि. में गुपचुप तरीके से भर्ती की जा रही है। जबकि ऊर्जा के तीनो निगमो में टीजी-2 के पदो पर हाईकोर्ट व लेबर कोर्ट के आदेश पर भर्ती नही निकालने का आदेश पहले हो चुका है। वहीं आंदोलन के दौरान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत व गणेश जोशी द्वारा सकारात्मक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है। जहां एक तरफ सरकार उपनल कर्मियो के सुरक्षित भविष्य के लिए गंभीर है वही दूसरी ओर कुछ भ्रष्ट अधिकारियो की मिलीभगत से बैक डोर एंट्री की जा रही है जिससे ऊर्जा निगम में उपनल कर्मियो में रोष है। उन्होने कहा कि यदि जल्द ही इस पर रोक नही लगायी गयी तो उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ कर्मचारियो के हितो के लिए आंदोलन के लिए मजबूर होगा। जिससे होने वाली सभी असुविधा के लिए पूर्ण रूप से शासन व प्रबंधन जिम्मेदार होंगे।

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