कब है साल की पहली भौमवती अमावस्या? सर्वार्थ सिद्धि योग और पंचक साथ, नोट करें स्नान-दान मुहूर्त

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When is the first Bhaumvati Amavasya of the year? With Sarvartha Siddhi Yoga and Panchak, note the auspicious time for bathing and donating

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। साल की पहली भौमवती अमावस्या चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को है। यह चौत्र अमावस्या के दिन है। जो अमावस्या तिथि मंगलवार के दिन होती है, उसे भौमवती अमावस्या कहते हैं। मंगल को भौम भी कहा जाता है। भौमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है और पंचक लगा है। भौमवती अमावस्या के दिन प्रातरूकाल में स्नान और दान किया जाता है। इस दिन हनुमान जी और मंगल देव की पूजा करते हैं। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं भौमवती अमावस्या की तिथि, स्नान-दान मुहूर्त और महत्व के बारे में।

भौमवती अमावस्या 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 21 मार्च दिन मंगलवार को 01 बजकर 47 पर प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 21 मार्च को ही रात 01 बजकर 52 मिनट पर खत्म हो जाएगी। ऐसे में भौमवती अमावस्या 21 मार्च को है।

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भौमवती अमावस्या 2023 स्नान-दान मुहूर्त
भौमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त के साथ प्रारंभ हो जाता है। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 49 मिनट से सुबह 05 बजकर 37 मिनट तक है। हालांकि उसके बाद भी स्नान दान का कार्यक्रम चलता है। इस दिन सूर्याेदय सुबह 06.24 बजे होगा।

भौमवती अमावस्या की पूजा
भौमवती अमावस्या के दिन स्नान के बाद सबसे पहले पितरों की पूजा करते हैं। उनको तर्पण, पिंडादान आदि करते हैं। उसके बाद मंगलवार के देव वीर हनुमान और मंगल देव की पूजा करते हैं। हनुमान जी की पूजा से मंगल ग्रह के दोष भी दूर होते हैं। भौमवती अमावस्या पर मंगल के बीज मंत्र या उससे जुड़ी वस्तुओं का दान करने से मंगल दोष दूर होता है।

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भौमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग और पंचक
21 मार्च को भौमवती अमावस्या को सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 05ः25 बजे से लेकर अगले दिन 22 मार्च को सुबह 06ः23 बजे तक है। इस दिन शुभ योग प्रातःकाल से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक है। उसके बाद से शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा।

इस दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है। भौमवती अमावस्या को पंचक पूरे दिन है। यह पंचक 19 मार्च से ही प्रारंभ होगा, जो नवरात्रि के दूसरे दिन तक रहेगा।

भौमवती अमावस्या का महत्व
जिस प्रकार से सोमवती अमावस्या का महत्व है, वैसे ही भौमवती अमावस्या का भी है। भौमवती अमावस्या में पितरों को प्रसन्न करने से सुख समृद्धि मिलती है। हनुमान जी की पूजा करने से संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। (साभार: कार्तिकेय तिवारी)

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