समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। मां कात्यायनी देवी मां दुर्गा की छठी विभूति हैं। शास्त्रों के मुताबिक जो भक्त दुर्गा मां की छठी विभूति कात्यायनी की आराधना करते हैं मां की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है, साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं।
मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। इस समय में धूप, दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाइयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं तो माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है।
माता कात्यायनी का चिघ्त्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गा जी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी। इस दिन नवरात्रि पर हरे रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं।
आइए जानें पूजा की विधि और मंत्र-
पूजन विधि-
- मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। अतरू इस समय धूप-दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करना चाहिए।
- गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
- इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें।
- मां के समक्ष दीपक जलाएं।
- इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
- हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
- मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
- अगर ये शहद चांदी के या मिट्घ्टी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा। इससे प्रभाव बढ़ेगा तथा आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी।
- मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी।
- इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।
मां कात्यायनी मंत्र-
मंत्र- ‘ऊँ हृीं नमः।।
मंत्र- चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
मंत्र- ऊँ देवी कात्यायन्यै नमः
मंत्र- ‘कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
कात्यायनी पूजा का पंचांग – आश्विन शुक्ल षष्ठी, 20 अक्टूबर 2023, शुक्रवार के मुहूर्त-
अतिगंड योग- सायं 06.33 तक
रवि योग- प्रातः 05.04 से दिन के 12.11
ब्रह्म मुहूर्त-प्रातः 03.30 से प्रातः 04.17
प्रातः सन्ध्या- प्रातः 03.54 प्रातः 05.04
अभिजित मुहूर्त- प्रातः 10.49 से प्रातः 11.39
विजय मुहूर्त- रात्रि 1.17 से रात्रि 02.07
गोधूलि मुहूर्त- सायं 05.24 से सायं 05.47
सायाह्न सन्ध्या- सायं 05.24 से सायं 06.34
अमृत काल- सायं 05.53 से रात्रि 07.28
निशिता मुहूर्त- रात्रि 10.50 से रात्रि 11.37
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