Ashadh month is the junction of summer and rain, waking up early this month, eating lemon and juicy fruits…
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आषाढ़ मास के कुछ दिन गर्मी तो कुछ बारिश वाले रहते हैं। इस दौरान मानसून भी एक्टिव होने लगता है। इस कारण आषाढ़ को ऋतुओं का संधिकाल भी कहा जाता है। यानी इस महीने में गर्मी और बारिश दोनों मौसम का असर रहता है। जिससे बीमारियों की आशंका और बढ़ जाती है।
मौसम के संधिकाल में बीमारियों से बचने के लिए पुराणों में परंपराएं और आयुर्वेद में कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं। जिनमें व्रत, स्नान और पूजा-पाठ के साथ कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका ध्यान रखेंगे तो बीमारियों से बचा जा सकता है।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए। जिससे ऊर्जा नियंत्रित रह सके। ये महीना गर्मी और बारिश का संधिकाल होता है। इस कारण रोगों का संक्रमण इन दिनों में ज्यादा होता है। इसलिए आषाढ़ महीने में सेहत को लेकर खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए।
गर्मी और बारिश का संधिकाल
सेहत के नजरिए से आषाढ़ महीने में सावधानी रखनी चाहिए। ये महीना गर्मी और बारिश के संधि काल में आता है। यानी इस दौरान ग्रीष्म ऋतु होती है साथ ही सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आ जाने से वृष्टि काल भी रहता है। जिससे इन दिनों वातावरण में उमस और नमी बढ़ने लगती है। इसलिए इस महीने में रोगों का संक्रमण ज्यादा होता है। आषाढ़ माह में ही मलेरिया, डेंगू और वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं। इसलिए इस महीने में सेहत को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत रहती है।
सावधानियां
क्या करें-क्या नहीं
मौसम में बदलाव वाले इस महीने में पानी से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। ऐसे में इन दिनों साफ पानी का खासतौर से ध्यान रखा जाना चाहिए। आषाढ़ महीने में रसीले फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। हालांकि बेल से पहरेज करें। पाचन शक्ति को सही रखने के लिए कम तली भुनी चीजें खानी चाहिए। आषाढ़ महीने में सौंफ, हींग और नींबू का सेवन करना फायदेमंद माना गया है। इस महीने में साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
आषाढ़ के स्वामी सूर्य और वामन
ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि आषाढ़ महीने के देवता सूर्य और भगवान वामन हैं। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार और सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। इनकी उपासना से विशेष फल मिलता है।
आषाढ़ महीने में सूर्य की उपासना से ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित रखा जाता है। जिससे सेहत अच्छी रहती है और किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती। भगवान विष्णु की उपासना से संतान और सौभाग्य प्राप्ति होती है।
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