समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सोमवार शिव जी का प्रिय वार है, इसलिए सोमवार और पूर्णिमा के योग में शिव जी की विशेष पूजा करनी चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र ग्रह से जुड़े दोष हैं, उन्हें शिवलिंग पर विराजित चंद्रदेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली के चंद्र दोष शांत हो सकते हैं। जानिए पूर्णिमा पर शिव पूजा कैसे कर सकते हैं…


पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करते समय तीर्थों का और सभी नदियों का ध्यान करें। नहाने के बाद सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
- किसी शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिव पूजा की व्यवस्था करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- पंचामृत से अभिषेक करें। दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर पंचामृत बनाएं। मंत्र ऊँ नमः शिवाय, ऊँ महेश्वराय नमः, ऊँ शंकराय नमः, ऊँ रुद्राय नमः आदि मंत्रों का जाप करें।
- भगवान को चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं।
- शिव जी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें। शिव जी को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।
- पूजन के बाद धूप, दीप, कर्पूर से आरती करें। शिव जी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें। परिवार के सदस्यों को और अन्य भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
वैशाख पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम
वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा का विशेष महत्व है। पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है, वृक्षों में मैं पीपल हूं। इस तिथि पर पीपल को जल, गाय का दूध, चंदन, अबीर-गुलाल, फूल अर्पित करें और धूप-दीप जलाकर आरती करें। ये पूजा सभी देवी-देवताओं की आराधना के समान पुण्य फल देती है।
पूर्णिमा की दोपहर पितरों के लिए किया गया धूप-ध्यान अत्यंत शुभ माना जाता है। गाय के गोबर से बने कंडे जलाकर, जब उनमें से धुआं बंद हो जाए तो गुड़ और घी की आहुति दें। हाथ में जल लेकर, अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पण करें और उनका ध्यान करें। यह कर्म परिवार में सुख-शांति और पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।
वैशाख पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व बताया गया है। जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र, छाता, जूते-चप्पल का दान करें। गौशाला में जाकर गायों को हरा चारा खिलाएं। इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और जीवन में समृद्धि लाता है। बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति, पितृ तृप्ति, दान-पुण्य और पर्यावरण पूजन का शुभ योग है। ये तिथि हमें जीवन में धैर्य, संयम, और श्रद्धा के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।





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