समाचार सच, देहरादून। उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी और चार दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन आकाश तत्व सम्मेलन में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, संघ पूर्व सरकार्यवाहक सुरेश जोशी ने शिरकत की। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पंच तत्वों के बारे में नई पीढ़ी को सही जानकारी देना था। पंच तत्व आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि पर देशभर में पांच जगहों पर संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें शास्त्रों में वर्णित पंच तत्वों को वैज्ञानिक आधार पर समझने व अनुसंधान के लिए संगोष्ठी में विचार किया गया। उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में आकाश तत्व पर वैज्ञानिकों द्वारा गहन मंथन और चिंतन 7 नवंबर तक जारी रहेगा। 4 नवंबर से शुरू हुई यह प्रदर्शनी और संगोष्ठी 7 नवंबर तक जारी रहेगी। जिसमें इसरो, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआई, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं। इस अवसर पर आकाश तत्त्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी से संबंधित एटलस एवं सार संग्रह का विमोचन भी किया गया। वहीं, सीएम पुष्कर धामी ने इसरो और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित आकाश तत्व सम्मेलन में देशभर से आए विशेषज्ञों का स्वागत किया।
सीएम ने कहा उत्तराखंड की पावन धरा पर आयोजित यह चिंतन कार्यक्रम निश्चित रूप से पंच महाभूतों में प्रधान आकाश तत्व के नवीन आयामों की विवेचना करने में सफल होगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा दिया था। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान के साथ जय अनुसंधान जोड़कर इसे पूर्णता प्रदान की है। जय विज्ञान और जय अनुसंधान ये दो शब्द आज विश्व में इन दोनों की महत्ता स्पष्ट करते हैं।
सीएम धामी ने कहा आज का नया भारत विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। पीएम मोदी ने पुरातन और आधुनिक विज्ञान दोनों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए कॉर्पाेरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की तर्ज पर साइंटिफिक सोशल रिस्पांसिबिलिटी के विचार को अपनाने की वैज्ञानिकों से अपील की है। इस प्रकार के सम्मेलन वैज्ञानिक समुदाय के क्रिएटिव माइंड को एक मंच पर लाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को सार्थक करने का मजबूत प्रयास है। मानव जीवन के लिए आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि पांच तत्वों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है इन पंच तत्वों के संरक्षण व संवर्धन की हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस सम्मेलन में विचार-विमर्श हो रहा है, जो निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होगा। हमारी संस्कृति में देखने को मिलता है कि आकाश तत्व की महत्ता मानव जीवन के साथ-साथ देवी-देवताओं में भी परिलक्षित होती है। हमारी सनातन मान्यताओं के अनुसार आकाश में परमात्मा और देवी-देवताओं का वास होता है। संसार की समस्त चिकित्सा पद्धतियां भी आकाश तत्व की महत्ता को भली-भांति समझती हैं।
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