समाचार सच, उत्तर प्रदेश/अयोध्या। इस साल की ठंड ने अयोध्या के राम मंदिर में भी अपनी दस्तक दे दी है। मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी के दिन गुरुवार को, जैसे ही तापमान में गिरावट आई, राम मंदिर प्रशासन ने रामलला को ठंड से बचाने के लिए लिहाफ (रजाई) का प्रयोग शुरू कर दिया है। अब तक सर्दी की शुरुआत में रामलला को लद्दाख की पश्मीना शॉल ओढ़ाई जा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, भगवान के वस्त्रों में बदलाव किए जाएंगे।
राम मंदिर के वस्त्र डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल रामलला को ऊनी परिधान नहीं पहनाए गए हैं, बल्कि रेशमी परिधान ही धारण कराए जा रहे हैं। हालांकि, ऊनी वस्त्रों का ऑर्डर दिया जा चुका है और मनीष त्रिपाठी 24 नवंबर को अयोध्या आएंगे, साथ में रामलला के लिए सिले हुए ऊनी परिधान लेकर। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, रामलला के परिधानों में बदलाव किया जाएगा और कड़ाके की ठंड में भगवान की धोती भी पश्मीना या कुल्लू हिमाचल के ऊन से तैयार की जाएगी।
रामलला के वस्त्रों को सातों दिन के लिहाज से खूबसूरत डिजाइन में सजाया गया है। हर दिन रामलला को विशेष रंग के परिधान पहनाए जाएंगे। वर्तमान में रामलला के दो अंगवस्त्रम, एक जो उनके कंधे पर लहराता है और दूसरा जो उनके हाथ में रहता है, वह लद्दाख के पश्मीना से निर्मित किए गए हैं।
इसी तरह, राम मंदिर में भगवान को भोग लगाने की प्रक्रिया भी विशेष है। राम मंदिर के सहायक पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि सुबह की मंगला आरती से पहले पेड़ा और मेवा का भोग लगाया जाता है। शृंगार आरती के समय फलादि और मेवा का भोग लगता है। फिर, 9 बजे पोहा या घी का हलुआ और 12 बजे राजभोग में विशेष भोजन प्रसाद व खीर परोसा जाता है। भगवान के विश्राम के बाद, अपराह्न में मिष्ठान और जल दिया जाता है। सायं 4 बजे नाश्ते का विशेष भोग लगता है, और संध्या आरती से पहले 7 बजे मिष्ठान और जल परोसा जाता है। शयन आरती से पूर्व सम्पूर्ण भोजन प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
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