समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत् शुरू होता है। इस साल नवसंवत् 2082 की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है। इसी चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी। चैत्र मास के दिनों में ऋतु परिवर्तन का समय रहता है। अब ठंड खत्म हो जाएगी और गर्मी बढ़ने लगेगी। इस वजह से चौत्र मास में पूजा-पाठ, मंत्र जप के साथ ही खान-पान और जीवन शैली कुछ ऐसे बदलाव करने चाहिए, जिनसे ऋतु परिवर्तन के समय होने वाली मौसमी बीमारियों से हम बच सके।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चौत्र मास धर्म के साथ ही स्वास्थ्य के लिए बहुत खास है। इस महीने में जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करने से हमें अच्छी सेहत मिल सकती है। इन दिनों में सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए, स्नान के बाद पूजा-पाठ और कुछ देर मेडिटेशन करना चाहिए। गर्मी के शुरुआती दिनों में कई लोग तनाव का सामना करना पड़ता है। मेडिटेशन करने से हमारा तनाव दूर होता है और दिनभर काम करने की ऊर्जा बनी रहती है।
चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी तिथि का पर ठंडा खाना खाने की परंपरा है। इस बार ये तिथियां शीतला सप्तमी (21 मार्च) और अष्टमी (22 मार्च) को है। ये व्रत जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं। माना जाता है कि जो लोग
ये व्रत करते हैं, उन्हें देवी शीतला की कृपा से अच्छी सेहत मिलती है। ये शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये व्रत हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है।
चैत्र मास से जुड़ी खास बातें
- चैत्र मास में देवी मां की भक्ति का महापर्व चौत्र नवरात्रि मनाया जाता है। इसी महीने में राम नवमी, हनुमान प्रकट उत्सव और मत्स्य अवतार जयंती जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं।
- चैत्र मास ऋतु परिवर्तन का समय है, इसलिए इस महीने में खान-पान को लेकर बहुत सावधानी रखनी चाहिए। इन दिनों में अधिक से अधिक फल, फलों के रस, दूध का सेवन करना चाहिए।
- ऐसा करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर को जरूरी ऊर्जा भी मिलती रहती है। इन दिनों में बाहरी खान-पान से भी बचना चाहिए।
चैत्र मास में ऐसे कर सकते हैं ध्यान
- चैत्र मास में पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो नकारात्मक विचारों से, तनाव से मुक्ति मिलेगी। – सोच-समझने की शक्ति बढ़ेगी और एकाग्रता बनी रहेगी। ध्यान करने के लिए घर में किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांति हो। आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाए। आंखें बंद करके अपना पूरा ध्यान दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। सांस लेने की गति सामान्य रखें। ध्यान करते समय सोच-विचार नहीं करना चाहिए।


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