समाचार सच. अध्यात्म डेस्क । शास्त्रों में तिथियों तथा मुहूर्तों का बहुत महत्व है। किसी भी काम को आरंभ करने के लिए मुहूर्त का देखा और माना जाना अत्यंत आवश्यक है। 16 दिसंबर 2017 से खरमास आरंभ हो जाएगा। 16 दिसंबर, शनिवार से सूर्य गोचरवश अपनी राशि परिवर्तन कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही मलमास यानी खरमास लग जाएगा। मान्यता है कि खरमास में शुभ विवाह, मांगलिक तथा शुभ कार्य, भवन निर्माण, नया व्यापार तथा व्यवसाय आदि सभी शुभ कार्य वर्जित हैं।
खरमास में किसी भी शुभ काम की शुरुआत तो नहीं होती लेकिन धर्म-कर्म के लिए यह समय अतिउत्तम माना गया है। देवी भागवत में ऐसा वर्णन आया है कि खरमास में जो व्यक्ति धार्मिक नियमों का पालन करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। 16 दिसंबर से शुरू हुआ खरमास 14 जनवरी 2018 तक रहेगा। इस कालखंड को खरमास कहते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस अवधि में विवाह, मुंडन, वधू प्रवेश, गृह प्रवेश इत्यादि कार्य निषिद्ध रहेंगे।
बृहस्पति/ गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु भी माना गया है। जब सूर्य गुरु की राशि धनु व मीन में प्रवेश करते हैं तो इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि देव गुरु और सूर्य भगवान की मंत्रणा चलती है। वे स्वयं साधना में व्यस्त होते हैं। अतः वैवाहिक शुभ मांगलिक कार्यक्रमों में सूर्य और गुरु के पूजन के बिना लाभ प्राप्त नहीं होता। इसलिए धनु संक्रांति एवं मीन संक्रांति के दौरान मांगलिक कार्यक्रम 1-1 माह के लिए वर्जित माने गए हैं।
खरमास के दौरान इस पूरे मास तक विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि धार्मिक शुभ कार्य या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। नई वस्तुओं, घर, कार आदि की खरीददारी भी नहीं करनी चाहिए। घर का निर्माण कार्य या फिर निर्माण संबंधी सामग्री भी इस समय नहीं खरीदनी चाहिए।
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