समाचार सच, हल्द्वानी। 14 फरवरी को सम्पन्न हुए विधान सभा चुनाव के बाद प्रत्याशी हुए मतदान पर अपने समर्थकों के साथ चुनावी गणित के माध्यम से जीतने का आंकलन कर रहे हैं लेकिन मतदाताओं की खामोशी ने सभी प्रत्याशियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। प्रत्याशी व समर्थक चुनावी जीत का गणित बैठाते नजर आ रहे है। इसके लिए वार्डों का भी आंकलन किया गया। मतदान के बाद नेताओं द्वारा एक-दूसरे से संपर्क समीकरण बैठाने का काम किया जाता रहा है। सभी पार्टियों के नेताओं द्वारा अपने-अपने जीत के दावे भी किये जा रहे हैं। हर कोई भी दावेदारी जोरदार ढंग से नहीं कर पा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेताओं द्वारा उनकी जीत होने की बात कही जा रही है। हार-जीत को लेकर अलग-अलग अनुमान बताए जा रहे हैं। सभी नेता चुनावी समीक्षा करने में जुटे हुए हैं। जीत-हार के लिए पार्टी के परम्परागत वोटों के साथ जातिगत समीकरण का भी मिलान किया जा रहा है। इसके साथ ही किस वार्ड में पार्टी के कार्यकर्ता सक्रिय थे और किस वार्ड में कार्यकर्ताओं द्वारा मेहनत नहीं की नहीं की गई, इन सब बातों का अनुमान लगाया जाता रहा है। कार्यकर्ताओं द्वारा मतदाताओं की सूची निकाल कर कहां कितना मतदान हुआ, इसकी जानकारी जुटाई जाती रही। बूथ स्तर की गणना के बाद प्रत्याशी जीत की संभावनाओं को तलाशने में जुटे रहे। बूथ की वोटिंग गणना मिलने के बाद प्रत्याशी अपनी जीत-हार के आंकड़े को बैठाने जुटे रहे। मतदान के बाद जीत की संभावना को देखने वाले प्रत्याशी अभी तो फिलहाल खुश नजर आ रहे हैं। उनके द्वारा मतदान के आंकड़ों को बताकर अपनी बढ़त को बताया जा रहा है। इसके कारण ऐसे उम्मीदवार वार्ड में घूम-घूमकर जीत को पक्का बता रहे हैं, परन्तु यह भी अनुमान ही कहे जा सकते हैं। मतदान के बाद प्रत्याशियों द्वारा कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है कि लोगों का रुझान किस ओर था। कार्यकर्ताओं से फोन लगाकर जानकारियां जुटाई जा रही हैं। जिससे हार-जीत का सटीक अनुमान लगाया जा सके। साथ ही लोगों की नाराजगी का भी पता लगाया जा रहा है।
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