हर बार अशुभ नहीं होता छींक का आना

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। हमारे समाज में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं और इन मान्यताओं को शगुन और अपशगुन से जोड़कर देखा जाता है। उनमें से एक हैं छींक, जिसको प्रायः अशुभ माना जाता है। रोगी मनुष्य यदि बार-बार छींकता है तो भी इस पर अपशकुन नहीं होता। लोक मानस का विश्वास है कि एक से अधिक छींक आने पर अपशकुन नहीं होता।
-मार्ग में यदि गजराज छींक दे तो राज्य लाभ होता है।
-रास्ते में अथवा घर के बाहर यदि कुत्ता छींक दे तो विघ्न और विपत्ति की सूचना है, यदि कुत्ता एक से अधिक बार छींक दे तो विपत्ति के टल जाने की संभावना है।
-दुरूस्थान, श्मशान तथा किसी दुर्घटना स्थल पर कोई व्यक्ति छींक मार देता है तो इसे वैदिक साहित्य में शुभ माना जाता है।
-भूकम्प, दुर्भिक्ष या महामारी की सूचना पर यदि जीव-जंतु तथा मनुष्य छींक दें तो अनिष्ट के दूर होने की संभावना रहती है।
-शुभ कार्य के लिए जाते समय यदि गाय या उसका बछड़ा छींक दे तो निश्चित कार्य सिद्धि होती है। यह शकुन धन वृद्धि का भी सूचक है।
-दवाई का सेवन करते समय यदि छींक आए और औषधि गिर जाए तो रोग का निवारण शीघ्र होता है।
-ऊंची छींक बड़ी ही उत्तम होती है।
-नीची छींक बड़ी दुखदायिनी होती है।
-चलते समय अपनी छींक बड़ा दुख देने वाली होती है।
-दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है।
-बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है।
-सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को बतलाती है।
-पीछे की छींक से सुख से सुख मिलता है।
-शुभ कार्य के लिए गमन के समय यदि कोई छींक मार दे तो अपशकुन होता है।

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