समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। ज्योतिष के मुताबिक, जब देवगुरु बृहस्पति और राहु एक ही राशि में आ जाते हैं, तो इसे गुरु-राहु की युति या चांडाल योग कहा जाता है। आम तौर पर, यह योग अच्छा नहीं माना जाता।
इस योग के बारे में ज्यादा जानकारीः
- इस योग से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं।
- अगर यह योग लग्न, पंचम या नवम भाव में हो, तो यह विशेष रूप से नकारात्मक होता है।
- इस योग के कारण, जिस भाव में फलीभूत होता है, उस भाव के शुभ फल कम हो जाते हैं।
- इस योग से लोगों को कई बार गलत फ़ैसले लेने की वजह से नुकसान उठाना पड़ता है।
- इस योग से पद-प्रतिष्ठा को भी धक्का लग सकता है।
इस योग से बचने के लिए, ये उपाय किए जा सकते हैं-
- योग्य गुरु की शरण में जाएं, उनकी सेवा करें, और उनका आशीर्वाद लें।
- गुरु और राहु की पूजा और मंत्र जप करें।
- गुरुवार के दिन दान करें और सेवा कार्य करें।
- गले में पीला पुखराज धारण करें।
- जिन जातकों पर ये योग चल रहा हो उन्हें बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
- बरगड़ के पेड़ की जड़ पर कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए।
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