चातुर्मास 2024: कब से प्रारम्भ है चातुर्मास जानें इस बार करें ये खास 4 काम तो जीवनभर का मिट जाएगा संताप

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होत है। यानी 4 माह की वह कलावधि जब की व्रत और साधना का समय प्रारंभ होता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। चार माह सावन, भादौ, अश्विन और कार्तिक माह बाद देवउठनी एकादशी पर जब देव जाग जाते हैं तब मांगलिक कार्य और उत्सव का समय प्रारंभ होता है। इस बार 17 जुलाई 2024 बुधवार के दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो रहे हैं।

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अभिषेक
इस माह में श्री हरि विष्णु और भगावन शिव का पंचामृत अभिषेक करने से सभी तरह के संकट मिटकर अक्षय सुख की प्राप्ति होती है। अभिषेक के बाद गरीबों को भोजन कराएं और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दें। चांदी के साफ पात्र में हल्दी भरकर दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से घर में आरोग्य, धन और धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम, भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।

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तर्पण
उक्त चार माहों में पितरों के निमित्त पिंडदान या तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। सभी अटके कार्य पूर्ण होने लगते हैं। संतान सुख के साथ ही व्यक्ति सुख और संपत्ति प्राप्त करता है। चातुर्मास के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा, परिक्रमा करने से श्रीहरि विष्णु, पितृदेव और शिवजी प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन जल चढ़ाने और दीप जलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख एवं शांति का स्थायी वास होता है।

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जप
चातुर्मास में प्रतिदिन अच्घ्छे से स्नान करते हैं। उषाकाल में उठते हैं और रात्रि में जल्दी सो जाते हैं। नित्य सुबह, शाम और रात्रि को जप करते हैं। दोपहर में नियमानुसार साधना करते हैं। चातुर्मास में मंत्रों की सिद्धि जल्दी प्राप्त होती है। साबर मंत्र और भी जल्दी से सिद्ध होते हैं।

सत्संग
इन चार माह में साधुओं के साथ सत्संग करने से उनकी सलाह लेन से जीवन में लाभ मिलता है। सत्संग से मन प्रसन्न होता है और मानसिक शांति मिलती है। सत्संग के लिए किसी गीता भवन या अखाड़े के साधु संतों की शरण में रहना चाहिए या प्रयाग, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसी जगह जाकर सत्संग लाभ लेना चाहिए।

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