उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देख-रेख में हो भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर कांग्रेस मिली राज्यपाल से

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेतागणों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमित सिंह से राजभवन में मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन प्रेषित करते हुए उत्तराखण्ड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित सभी विभागों की भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं की जांच सीबीआई अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देख-रेख में कराये जाने तथा उत्तराखण्ड राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनबाडी केन्द्रों में खाद्यय सामग्री उपलब्ध कराने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों को टी.एच.आर. (टेक होम राशन) का भुगतान कराये जाने की मांग की। उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री विजय सारस्वत ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमित सिंह को सौंपे ज्ञापनों में कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की जनता ने बहुत आशा और विश्वास के साथ भाजपा को भारी बहुमत के साथ डबल इंजन का तोहफा दिया था परन्तु भय-भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा करने वाली उत्तराखण्ड की डबल इंजन सरकार भ्रष्टाचार रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुई हैै। राज्य सरकार द्वारा नौजवानों को रोजगार मुहैया कराना तो दूर जिन सरकारी पदों पर अभी तक भर्तियां की भी गई हैं उनमें भारी भ्रष्टाचार एवं भाई भतीजावाद को अंजाम दिया गया है।

भर्ती परीक्षा में 15 लाख रूपए लेकर पेपर लीक का मामला भ्रष्टाचार का जीता जागता प्रमाण
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वीपीडीओ एवं अन्य पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में 15-15 लाख रूपये लेकर पेपर लीक कर नौकरियां बेचने का मामला राज्य के सरकारी विभागों की भर्तियों में भारी भ्रष्टाचार का जीता-जागता प्रमाण है। भाजपा नेताओं के संरक्षण में हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में लगातार हो रही गिरफ्तारियों से साबित हो गया है कि भाजपा सरकार के साढे पांच वर्ष के कार्यकाल में राज्य में भ्रष्टाचार किस हद तक फलता-फूलता रहा है। राज्य के सहकारिता विभाग में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता तथा भाई-भतीजावाद की पहले ही पोल खुल चुकी है। सहकारी बैंकों में 61 पदों पर हुई भर्तियों में बैंक अध्यक्ष, सचिव तथा अधिकारियों पर मिली भगत कर अपने रिस्तेदारों, चहेतों को रेवडी बांटने के आरोपों से ऐसा प्रतीत होता है कि सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले को राज्य सरकार की छत्रछाया में अंजाम दिया गया है। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग में स्नातक परीक्षा में हुए घोटाले तथा सहकारिता विभाग की भर्तियों में हुए घोटालों के खुलासे तथा सचिवालय रक्षक के 33 पदों तथा न्यायिक कनिष्ठ सहायक के 288 पदों पर हुई भर्ती की जांच के आदेशों से स्पष्ट हो गया है कि इससे पूर्व फॉरेस्ट गार्ड भर्ती, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम विकास अधिकारी, एलटी भर्ती सहित कई विभागों की लिपिकीय व चालकों की भर्ती में भी भारी घोटाला हुआ है तथा ये सभी भर्तियां संदेह के घेरे में है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा में हुए घोटाले के खुलासे के बाद सबसे पहले जिस व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है वो उसी कंपनी से जुड़ा है जिस कम्पनी द्वारा इसी वर्ष विधानसभा चुनावों से पहले विधानसभा सचिवालय के लिए सीधी भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा सचिवालय के लिए हुई सीधी भर्ती के परीक्षा परिणाम पर रोक लगाना भर्ती घोटाले की ओर स्पष्ट इशारा करता है।

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अभी तक जो भी घोटालेबाज पुलिस की गिरफ्त में आए हैं वह केवल मोहरे हैं
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले में अब तक जितने भी घोटालेबाज पुलिस की गिरफ्त में आए हैं वे सिर्फ मोहरे मात्र हैं। राज्य में हुए सभी भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच से ही असली घोटालेबाजों तक पहुंचा जा सकता है जो कि राज्य हित में अत्यंत आवश्यक है। कंाग्रेस पार्टी लगातार मांग करती आ रही है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में हुए भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच करायी जानी चाहिए जिससे इन घोटालों में सत्ता प्रतिष्ठान, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सचिवालय, विधानसभा मे बैठे बड़े चेहरे बेनकाब हो सकें। उन्होंने मांग की कि विगत पांच वर्ष के अन्तराल में उत्तराखण्ड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित राज्य के सभी विभागों में हुई भर्तियों की जांच सीबीआई अथवा उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में कराई जाय।

कई भ्रष्टाचारांे को लेकर प्रतिनिधि मण्डल ने सौंपा राज्यपाल को ज्ञापन

राज्यपाल को सौंपे एक अन्य ज्ञापन में कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में संचालित लगभग 10 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्ष 2013 से राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं छः माह से तीन वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को पौष्टिक आहार वितरण कराने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेशभर के लगभग 9 लाख लोग लाभान्वित हो रहे है तथा टी.एच.आर. योजना से 2 लाख महिलायें जुडी हुई हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा आढतियों के माध्यम से खाद्यय सामग्री एकत्र कर विभिन्न आंगनबाडी केन्द्रों को उपलब्ध कराई जा रही है जिस पर विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद एक स्वयं सहायता समूह को लगभग 10 लाख रूपये प्रतिमाह व्यय करना पड रहा है। परन्तु राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा विगत एक वर्ष से इन स्वयं सहायता समूहों का भुगतान रोक दिया गया है जिसके कारण प्रत्येक स्वयं सहायता समूह पर आढतियों का लगभग 1 करोड़ रूपये का कर्ज हो चुका है। राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा समय पर भुगतान न करने के कारण महिला स्वयं सहायता समूहों को खाद्यय सामग्री उपलब्ध कराने वाले आढतियों द्वारा अपने धन की उगाही के लिए लगातार मानसिक रूप से प्रताडित किया जा रहा है। कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने यह भी अवगत कराया कि उत्तराखण्ड राज्य महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों से टी.एच.आर. का कार्य छीनकर माह अप्रैल 2021 में ई-टेंडरिंग के माध्यम से बडे ठेकेदारों को यह कार्य सौंपे जाने केलिए निविदायें जारी कर दी गई, जिसके विरूद्ध राज्य के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा आन्दोलन करने के साथ ही मा0 उच्च न्यायालय की शरण ली गई। 25 नवम्बर 2021 को मा0 उच्च न्यायालय द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों के पक्ष में निर्णय देते हुए यथा स्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये गये जिसके बाद विभाग द्वारा टी.एच.आर. का भुगतान रोक कर महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रताडित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखण्ड राज्य महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्यभर में गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे पूर्व से संचालित इन्दिरा अम्मा भोजनालयों को भी बन्द कर दिया गया है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा की जा रही मानसिक प्रताडना के खिलाफ महिला स्वयं सहायता समूह 22 अगस्त से सुद्धोंवाला स्थित निदेशालय में आन्दोलनरत हैं। कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने महामहिम राज्यपाल से मांग की कि टी.एच.आर. योजना से जुडे महिला स्वयं सहायता समूहों की एक वर्ष की बकाया धनराशि निर्गत करने के राज्य सरकार को निर्देश दिये जांय। महामहिम राज्यपाल से मुलाकात करने वाले कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत, विधायक फुरकान अहमद, प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना, मीडिया प्रभारी भारत जोडो यात्रा पी0के0 अग्रवाल, मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, पूर्व विधायक राजकुमार, महामंत्री गोदावरी थापली, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, कार्यकारी महानगर अध्यक्ष जसविन्दर सिंह गोगी, विरेन्द्र पोखरियाल, महामंत्री राजेन्द्र शाह, मानवेन्द्र सिंह, मीडिया पैनलिस्ट राजेश चमोली जिलाध्यक्ष संजय किशोर शामिल थे।

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