समाचार सच, पिथौरागढ़/मुनस्यारी। चीन सीमा पर बसे मुनस्यारी को हिमालय क्षेत्र के शहद का हब बनाने की जिला पंचायत सदस्य जगत मर्ताेलिया की मुहिम रंग लाने लग गई है। मुख्यमंत्री बीएडीपी योजना के अंतर्गत इसके लिए 21 लाख रुपए स्वीकृत कर दिया गया है। इस साल दस गांवों को इस योजना के लिए लिया गया है। जिपंस मर्ताेलिया ने जिलाधिकारी रीना जोशी, मुख्य विकास अधिकारी वरुण चौधरी का आभार व्यक्त किया। वर्ष भर विभिन्न प्रकार के फूलों की प्रचुरता वाले इस क्षेत्र में मधुमक्खी पालन को व्यवसाय का रुप देने के लिए अब धरातल पर प्रयास शुरू हो गया है।
जिपंस जगत मर्ताेलिया के इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री बीएडीपी योजना के अंतर्गत 21 लाख रुपए का बजट स्वीकृत कर दिया गया है। परियोजना निदेशक आशीष पुनेठा ने इसके लिए उद्यान विभाग पिथौरागढ़ को नोडल एजेंसी बनाते हुए 15 लाख रुपए की पहली किस्त जारी कर दिया है। उच्च हिमालय क्षेत्र में बसे इस क्षेत्र का शहद औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जिसकी भारत ही नहीं विदेशों की भूमि में मांग है। जिपंस जगत मर्ताेलिया ने कहा जिला पंचायत वार्ड के 25 ग्राम पंचायतों को इस योजना के लिए चयनित किया गया है। पहले चरण में ग्राम पंचायत धापा, तल्ला दुम्मर, दरकोट, दरांती, खसियाबाड़ा, सेरा सुराईधार, पापड़ी, जैंती, बर्नियागांव को चयनित किया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले चरण में उत्तराखंड सरकार के उपक्रम उत्तराखंड कौशल विकास मिशन देहरादून द्वारा दरांती में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण केन्द्र खोला जा रहा है। इस केंद्र में प्रशिक्षित प्रतिभागियों को दस प्रतिशत अंशदान पर कालौनी सहित मधुमक्खी बाक्स दिया जाएगा। इसके लिए एक अप्रैल से प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा। इस क्षेत्र इंडिका प्रजाति की मधुमक्खी का पालन किया जाता है। मैलीफैरा प्रजाति को लाकर यहां प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है। क्षेत्र में कुछ परिवारों द्वारा इंडिका प्रजाति की मधुमक्खी से शहद पैदा किया जा रहा है। स्थानीय बाज़ार में शहद 800 रुपए किलो ख़रीदा जा रहा है। शहद विशेषज्ञ हरीश जोशी ने बताया कि मुनस्यारी में फूलों की पैदावार अच्छी होने पर एक आठ कालोनी वाले बाक्स से प्रतिमाह दो किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है। जिपंस जगत मर्ताेलिया ने कहा कि हमारी योजना है कि हम मुनस्यारी हनि के नाम से इसकी ब्रांडिंग करेंगे। इससे क्षेत्र में आजीविका संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य होगा।
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