एम्स में हो सकेगी कोरोना सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग

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समाचार सच, देहरादून। एम्स (AIIMS) में भी कोरोना सैंपल (corona sample) की जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा मिल पाएगी। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन मिलने के बाद एम्स में अब लैब का सेटअप तैयार किया जा रहा है। फरवरी में सेटअप पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। हालांकि अगर जरूरत पड़ती है तो सेटअप तैयार होने से पहले भी एम्स में कोराना सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। कोरोना की आशंका को देखते हुए एम्स में पिछले डेढ़ साल से जीनोम सिक्वेंसिंग लैब स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन एम्स प्रशासन को प्रयासों में सफलता नहीं मिल पा रही थी।

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प्रो. मीनू सिंह (Pro. Meenu Singh) ने जुलाई 2022 में एम्स निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की उपलब्धता के लिए नए सिरे से प्रयास किए। आखिरकार केंद्र से स्वीकृति मिलने के साथ एम्स पिछले साल दिसंबर 1.92 करोड़ रुपये की जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन खरीदने में सफल रहा। एम्स निदशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि कोरोना के नए नए वैरिएंट (new variants) सामने आ रहे हैं। ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग आज सभी बड़े चिकित्सा और शोध संस्थानों की जरूरत बन गई है। उन्होंने बताया कि एम्स में आगामी फरवरी महीने में जीनोम सिक्वेंसिंग लैब का सेटअप बनकर तैयार हो जाएगा। कहा कि कोरोना सैंपल के मामले में जरूरत पड़ने पर सेटअप तैयार होने से पहले भी जांच की जा सकेगी। जिस तरह इंसान का शरीर डीएनए से मिलकर बनता है, वैसे ही वायरस डीएनए या आरएनए से बनता है। कोरोना वायरस आरएनए से बना है। जीनोम सीक्वेंसिंग वो तकनीक है, जिससे वायरस की अनुवांशिक जानकारी मिलती है। जीनोम सीक्वेंसिंग से वायरस की संरचना, व्यवहार, प्रसार यानी उसके पूरे बायोडाटा की जानकारी मिल जाती है। वहीं वायरस के नए वैरिएंट के बारे में भी इसी तरह की जानकारी मिलती है।

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