नरेन्द्र गिरि निधन मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि को किया यूपी पुलिस के हवाले

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समाचार सच, देहरादून। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के निधन मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि को उत्तराखंड पुलिस ने अपनी निगरानी में ले लिया। आनंद गिरि के श्यामपुर कांगड़ी स्थित आश्रम के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। इसकी पुष्टि करते हुए हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह कदम श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद स्वामी आनंद गिरि को लेकर मिले संकेत के बाद उठाया गया है, हालांकि उन्होंने स्वामी आनंद गिरि को हिरासत में या फिर उन्हें गिरफ्तार किए जाने की बात से इन्कार किया। वहीं, कस्टडी लेने को उत्तर प्रदेश पुलिस प्रयागराज से हरिद्वार पहुंची। उत्तराखंड पुलिस ने स्वामी आनंद गिरि को उनके हवाले कर दिया।

उधर दूसरी तरफ आनंदगिरी ने अपनी हत्या की आशंका जताई है। कहा कि श्री महंत नरेंद्र गिरि से दुश्मनी रखने वाले लोग अब उनकी हत्या कर सकते हैं। उन्होंने मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। आनंदगिरि ने यह भी कहा कि बाघम्बरी गद्दी और श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से जुड़े ऐसे लोगों की जांच होनी चाहिए, जिन्होंने ब्रह्रमचारी और संत जीवन जीते हुए भी अरबों की सपंदा खड़ी कर ली है।

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हरिद्वार कुंभ के बाद श्री महंत नरेंद्र गिरि का अपने शिष्य आनंद गिरि से श्री बाघम्बरी मठ की गद्दी को लेकर विवाद हो गया था। आनंद गिरि ने उन पर गंभीर आरोप लगाये थे। इसके बाद श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें बाघम्बरी गद्दी से हटा दिया था। यही नहीं, इसके बाद निरंजनी अखाड़े ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कुछ समय बाद माफी मांगने पर श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें शिष्य तो स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाघम्घ्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़े में उनके प्रवेश की राह नहीं खोली थी।

स्वामी आनंद गिरि श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य रहे हैं। वे आस्ट्रेलिया में यौन शोषण मामले में हुई गिरफ्तारी और उसके बाद अपने गुरु श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि से हरिद्वार कुंभ के बाद बाघम्बरी गद्दी की संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद चर्चा में आए थे। मामले में आनंद गिरि ने श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि पर कई अनर्गल आरोप लगाए थे। यहां तक कि उन्होंने कहा था कि बाघम्बरी गद्दी से जुड़ी संपत्तियों को बेचने का विरोध करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया। आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि आस्ट्रेलिया में साजिश के तहत उनके खिलाफ हुई कार्रवाई के दौरान उन्हें बचाने के नाम पर देश-दुनिया से बड़ी रकम एकत्र की गई, लेकिन उसका इस्तेमाल करने के बजाय उसे हजम कर लिया गया था। आनंद गिरि के इस तरह के बयानों के कारण श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने उन्हें अपने शिष्य पद से हटाते हुए बाघम्बरी गद्दी से बाहर कर दिया था। साथ ही उनके पत्र पर निरंजनी अखाड़े ने भी आनंद गिरि को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कार्रवाई के बाद आनंद गिरि ने श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि से लखनऊ स्थित उनके एक शिष्य के घर माफी मांगी थी। इसके बाद श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने उन्हें अपना शिष्य तो स्वीकार लिया था, लेकिन बाघम्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़े में उनके प्रवेश की राह नहीं खोली थी।

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