समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आज से मार्च महीने की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना प्रमुख व्रत-त्योहारों की दृष्टि से विशेष माना जाता है। इस साल 2025 के मार्च महीने की शुरुआत फुलेरा दूज के पर्व से हो चुकी है। इसके अलावा इस माह में आमलकी एकादशी, भौम प्रदोष व्रत, होली, शीतला सप्तमी, शीतला अष्टमी, पापमोचिनी एकादशी, गुड़ी पड़वा और चौत्र नवरात्रि के साथ कई व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। इसके साथ ही मार्च महीने में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण समेत 2 ग्रहण भी लगेंगे। आइए जानते हैं कि मार्च महीने में कौन-कौन से व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे?
मार्च माह के व्रत और त्योहार
फुलेरा दूज (01 मार्च 2025, शनिवार)
फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन बिना मुहूर्त देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
होलाष्टक आरंभ, दुर्गा अष्टमी व्रत (07 मार्च 2025, शुक्रवार)
होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लगा जाता है। हिंदू धर्म में होलाष्टक को अशुभ समय माना गया है। इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी और 13 मार्च 2025 को समाप्त होगी।
आमलकी एकादशी (10 मार्च 2025,सोमवार)
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी व्रत रखा जाता है। इसे व्रत को आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ दिन भगवान विष्णुजी के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करना शुभ माना गया है।
प्रदोष व्रत(11 मार्च 2025,मंगलवार)
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मार्च महीने में 11 मार्च को दिन मंगलवार पड़ने के कारण भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
छोटी होली, होलिका दहन (13 मार्च 2025,गुरुवार)-
हिंदू धर्म में होली के पर्व का बड़ा महत्व है। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है।
होली, फाल्गुन पूर्णिमा, पूर्ण चंद्रग्रहण(14 मार्च 2025,शुक्रवार)-
इस साल 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। इस दिन दुनियाभर के कई हिस्सों में पूर्ण चंद्रग्रहण भी लगेगा, लेकिन भारत में यह चंद्रग्रहण नहीं नजर आएगा।
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी (17 मार्च 2025,सोमवार)-
प्रत्येक माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का दिन प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेशजी की पूजा-आराधना के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि गणेशजी की पूजा करने से साधक के सभी दुखों का नाश होता है।
रंग पंचमी (19 मार्च 2025, बुधवार)-
हर साल होली के 5 दिन बाद रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र और गुजरात में विशेष रूप से मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी (21 मार्च 2025, शुक्रवार)-
हिंदू धर्म में शीतला माता को स्वच्छता और आरोग्यता की देवी माना गया है। शीतला सप्तमी के दिन व्रत रखा जाता है और मां शीतला को विशेष पकवानों का भोग लगाया जाता है और इस प्रसाद को अगले दिन ग्रहण किया जाता है।
शीतला अष्टमी, बसोड़ा पूजा (22 मार्च 2025,शनिवार)-
शीतला सप्तमी व्रत के अगले दिन शीतला अष्टमी या बसोड़ा मनाया जाता है। इस खास दिन शीतला माता को अर्पित किए गए भोग को ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को आरोग्यता का वरदान मिलता है और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
पापमोचिनी एकादशी (25 मार्च 2025,मंगलवार)-
हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 मार्च को गृहस्थ जीवन के लोग पापमोचिनी एकादशी व्रत रख सकते हैं। चौत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं, 26 मार्च को वैष्णव संप्रदाय के लोग पापमोचिनी एकादशी व्रत रख सकते हैं।
प्रदोष व्रत (27 मार्च 2025,गुरुवार)-
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 27 मार्च 2025 को गुरुवार के दिन रखा जाएगा। यह दिन शिव-गौरी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
आंशिक सूर्यग्रहण,चैत्र अमावस्या(29 मार्च 2025,शनिवार)-
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। इसदिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं।इस दिन आंशिक सूर्यग्रहण भी लगेगा, लेकिन यह भारत में नहीं नजर आएगा।
गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि आरंभ (30 मार्च 2025,रविवार)-
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। यह पर्व महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी और 7 मार्च को समाप्त होगी। चौत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
मत्स्य जयंती (31 मार्च 2025,सोमवार)-
मत्स्य जयंती का दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना के लिए खास माना जाता है। यह चौत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विष्णुजी ने मत्स्य अवतार धारण कर समस्त जगत का कल्याण किया


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