सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस गुरुद्वारा में श्रद्धापूर्वक मना, लंगर और छब्बील बंटा

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समाचार सच, हल्द्वानी। सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव जी का 414वां शहीदी दिवस गुरद्वारा सिंघ सभा में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान कीर्तन की हाज़री भरी गयी। साथ ही लंगर और छब्बील बांटा गया।

धार्मिक दिवान की शुरुवात सुबह हजूरी रागी भाई गुरसेवक सिंघ एवं साथियो ने करी उपरन्त कीर्तनिये भाई जसपाल सिंघ, दलजीत सिंघ ने कीर्तन की हाज़री भरी। भाई जगजीत सिंघ बाबीहा एवं साथियो ने जो दिल्ली से आये थे ने रसभिना कीर्तन कलजुग जहाज अरजन गुरु व जपयो जिन अरजन देव गुरु आदि शब्दो का गायन करा। कलकत्ता से आये प्रचारक भाई जरनैल सिंघ जी ने विस्तार से गुरु साहिब के जीवन से जुड़ी साखियों व शिक्षाओ के बारे में संगत को अवगत कराया। गुरु साहिब की शहीदी किन किन कारणों से हुई बताया।

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उन्होंने बताया कि गुरु साहिब ने गुरु ग्रंथ साहिब की संपादना कर के संसार को ऐसे ज्ञान का खजाना दे दिया जिसे ग्रहण कर के कोई भी मनुष्य उस प्रभु को सहज रूप में पा सकता है। गुरु साहिब ने सुखमनी साहिब की बानी में बताया कि मानुख की टेक बिरथी सभ जान, देवन को ऐके भगवान भाव किसी भी मनुष्य के हाथ मे कुछ नही है सब उस प्रभु के हाथ मे है इसलिए हमें उस पर ही टेक रखनी चाहिए किसी मनुष्य पर नही। आजकल कई ऐसे धर्म गुरु बन गए है जो भोले भाले खास कर के महलाओं को बहला कर बेवकूफ बनाते है। धर्म की परिभाषा बताते हुए गुरु साहिब ने कहा सरब धर्म मे श्रेष्ठ धर्म,हर को नाम जप निर्मल कर्म भाव वही धर्म सबसे उत्तम है जिसमे उस प्रभु की आराधना के साथ साथ इंसान को निर्मल कर्म करने पर जोर दिया गया हो। उपरन्त हेड ग्रंथि अमरीक सिंघ जी ने अरदास, हुकमनामा लिया।
तद्पश्चात समूह संगत ने गुरु का लंगर छका। इस बीच छबील(मीठी लस्सी) का लंगर चलता रहा। प्रोग्राम में मुख्य सेवादार रंजीत सिंघ, जगजीत सिंघ, जसपाल सिंघ खालसा,र विंदरपाल सिंघ, तजिंदर सिंघ, जगमोहन सिंघ, अमरपाल सिंघ, सतपाल सिंघ, अमरीक सिंघ आदि मौजूद रहे।

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