समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आज, 13 मार्च को फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि यानी फुलेरा दूज है। इस दिन श्रीकृष्ण और राधा की पूजा होती है। ब्रज में इसी दिन से ही श्रीकृष्ण मंदिरों में होली का माहौल बनने लगता है। इस तिथि पर मंदिरों में राधा-कृष्ण को फूलों से होली खेलाते हैं।
गर्ग संहिता के मुताबिक इस दिन राधा-कृष्ण का विवाह ब्रह्मा जी ने करवाया था। इस ग्रंथ का कहना है कि जिस तरह श्रीराम के साथ सीता है वो ही द्वापर युग में कृष्ण के साथ राधा है। ये ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी के रूप हैं।
आज चंद्रमा मीन राशि के रेवती नक्षत्र में रहेगा। वहीं, तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर शुक्ल, ब्रह्म और शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में की गई राध-कृष्ण की पूजा और शुभ फलदायी हो जाएगी। मान्यता है कि भगवान इस दिन फूलों से खेलते हैं, इसलिए इसे फुलेरा दूज कहा जाता है।
ऐसे करें राधा-कृष्ण की पूजा
इस पर्व पर बाल गोपाल की विशेष पूजा करनी चाहिए। केसर मिले दूध को शंख में भरकर अभिषेक करना चाहिए। फिर चंदन, अक्षत, मौली, जनेऊ, अबीर, गुलाल और फूल चढ़ाएं। तुलसी पत्र चढ़ाएं। इसके बाद माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। किसी गौशाला में धन और अनाज का दान भी करें।
भगवान श्रीकृष्ण फूलों से खेलते हैं
पौराणिक मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण फूलों से होली खेलते हैं। इस दिन को उल्लास के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। कृष्ण मंदिरों में इस दिन विशेष पूजन किया जाता है। फुलेरा दूज को राधा और कृष्ण के मिलन की तिथि के रूप में भी मनाया जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन राधा ने श्रीकृष्ण के साथ फूलों की होली खेली थी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और प्रेम बना रहता है। इसी दिन फुलेरा दूज को शादी विवाह के लिए अच्छा माना जाता है।
लोक परंपराओं के चलते कई जगहों पर फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त भी माना गया है। इसलिए मान्यता है कि फुलेरा दूज शुभ कामों के लिए बहुत शुभ दिन होता है। इस दिन शादी, सगाई और अन्य मांगलिक काम करने के लिए मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं होती है।
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