समाचार सच, देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की 11 मई 2020 से शनि वक्री होगा। इसके बाद इसी साल 29 सितंबर को मार्गी। शनि की वक्री चाल जहां किसी के लिए परेशानी बनेगी तो किसी को इसके अच्छे परिणाम भी प्राप्त होंगे।


हालांकि यह शनि की शुभ-अशुभ स्थिति पर निर्धारित होगा। ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना गया। अगर किसी व्यक्ति पर इसकी टेढ़ी नजर पड़ जाए तो उस व्यक्ति के जीवन में समस्याओं का भंडार लग जाता है। कुंडली में 12 भाव होते हैं। ये भाव व्यक्ति के संपूर्ण जीवन की व्याख्या करते हैं। इन भावों में शनि कहां शुभ और कहां अशुभ होता है, ये जानने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले कुंडली का चौथा भाव जिसे सुख भाव कहते हैं इस भाव में शनि का होना अच्छा नहीं माना जाता है। यानि यहां शनि की उपस्थिति से व्यक्ति के सुखों में ग्रहण लग जाता है। शनि का राहु और मंगल के साथ होना भी बेहद अशुभ है। शनि, राहु-मंगल के साथ दुर्घटना योग बनाता है। ऐसी स्थिति में जातक को संभल कर वाहन चलाना चाहिए और यात्रा करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए। इसी के साथ ही शनि का सूर्य के साथ होना भी अशुभ होता है। कुंडली में दोनों की युति से पिता-पुत्रों के संबंध बिगड़ जाते हैं। दोनों के बीच मतभेद रहता है। दोनों ग्रहों के बीच पिता-पुत्र का संबंध होने के बावजूद शत्रुता का भाव है। शनि का वृश्चिक राशि या चंद्रमा से संबंध होने पर कुंडली में विष योग का निर्माण होता है। इसके कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में असफल होता है। शनि अगर अपनी नीच राशि मेष में हो तो भी जातक को इसके नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
शनिवार के दिन करें शनि दोषों से बचने के उपाय
प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें।
शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनि के बीज मंत्र ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः, का १०८ बार जाप करें।
काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
भिखारियों को अन्न-वस्त्र दान करें।

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