स्वाद और सेहत के लिए लें मिश्रित आटा

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। भारतीय खान में साबुत अनाज के सापेक्ष में उसके औ से बनी वस्तुओं की मात्रा बढ़ गई है। यदि एक ही अनाज के आटे के स्थान पर मिश्रित अनाज के आटे का उपयोग किया जाए तो इससे बनी वस्तुओं के सेवनकर्ता को स्वाद और सेहत दोनों की दृष्टि से लाभ मिलेगा। वैसे भी एक ही अनाज या उससे बने आटे की वस्तुएं लगातार खाने से आगे चलकर लाभ मिलने की अपेक्षा हानि होने लगती है। मिश्रित आटे से बनी रोटी खाने से उस रोटी का स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ ही कई रोगों में लाभ भी मिलता है। गेहूं के साथ चावल, सोयाबीन आदि का विभिन्न अनुपात में मिश्रण कब्ज, रक्तचाप, शुगर, हृदयरोग, मोनोपाज, गर्भावस्था, मोटापा, निर्बलता आदि में लाभ दिला सकता है।
दुबला व्यक्ति गेहूं की रोटी खाकर सुडौल हो सकता है।
मोटापा पीड़ित व्यक्ति मिश्रित आटै की रोटी खाकर सुडौल हो जाएगा।
शुगर के रोगी गेहूं, चना, मैथी मिश्रित आटै की रोटी खाएं। चने की मात्रा ज्यादा हो, मेथी की मात्रा कम हो। यह शुगर नियंत्रित करने में सहायक होता है। उच्च रक्त्चाप से पीड़ित व्यक्ति गेहूं में सोयाबीन एवं अलसी के मिश्रण से बने आटे की रोट खाएं। यह रक्तचाप की स्थिति में राहत देता है।
गर्भावस्था में महिलाएं गेंहू, सोयाबीन के मिश्रण से बने आटे की रोटी स ाथ में हरी भाजी मिलाकर बनाएं व खाएं यह गर्भवती एवं उसके शिशु के लिए लाभदायी होता है।
बढ़ते बच्चे को गेंहू, चना, जौ, रागी, सोयाबीन के सम्मिश्रण से बने आटे की रोटी खिलाएं। यह उसकी शारीरिक वृद्धि में मददगार होगा।
रजोनिवृत्ति की स्थिति में महिलाओं को अनेक प्रकार की परेशानी होती है। रक्तचाप, कोलेस्ट्राल, मधुमेह से पीड़ित हो जाती है। ऐसी स्थिति में 5 किलो गेंहू में 2 किलो चना, 2 किलो सोयाबीन एवं शेष मात्रा अलसी व मेथी दाना मिलाकर इस मिश्रण का आटा बनवाएं। इसकी रोटी रजोनिवृत्ति के समय की परेशानी से उबारेगी। गेंहू के साथ, चना, जौ, रागी, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, अलसी, मेथी किसी न किसी रूप में मिश्रण से बने आटे की रोटी हर रूप में फायदेमंद हैं।

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