Baisakh month 2023: April 14 is a very special day, many auspicious yogas are being made, poverty will go away by doing these things
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। वैशाख का महीना 5 मई 2023 तक चलेगा। इसे माधव मास भी कहा जाता है। कहते हैं कि वैशाख में श्रीहरि की उपासना करने वालों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय यानी कभी न खत्म होने वाला पुण्य। इस महीने में अक्षय तृतीया, वरुथिनी एकादशी, बुद्ध पूर्णिमा सहित कई बड़े व्रत और त्योहार आते हैं लेकिन इस साल वैशाख में एक दिन ऐसा है जो बहुत खास माना जा रहा है। ये तारीख है 14 अप्रैल 2023 की। आइए जानते हैं इस दिन क्या विशेष है।
14 अप्रैल 2023 के दिन क्या है खास ?
14 अप्रैल 2023 को मेष संक्रांति, बैसाखी, बाबा साहेब आंबेडकर जयंती, बिहू, खरमास की समाप्ति है। एक ही दिन कई शुभ योग का संयोग बनने से ये दिन बहुत ही शुभ माना जा रहा है। सूर्य और विष्णु जी की पूजा-पाठ करने से इस दिन सुख-धन में वृद्धि होगी। इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाएगी।
मेष संक्रांति 2023
जिस दिन सूर्य देव मीन राशि के निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को मेष संक्रांति कहा जाता है। साल में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है। मेष संक्रांति के दिन 14 अप्रैल को सूर्य देव दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन से सौर वर्ष का आरंभ होता है। मेष संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से आरोग्य का वरदान मिलता है। इस दिन बिहार में सतुआनी, तमिलनाडु में पुथांदु, पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख, पंजाब में बैसाखी, केरल में विशु, आसाम में बोहाग बिहू, ओडिशा में पना संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
बैसाखी 2023
बैसाखी मुख्य रूप से पंजाबी समुदाय का त्योहार है। बैसाखी को हिन्दु सौर कैलेंडर पर आधारित, सिख नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी के दिन किसान अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति का आभार प्रकट करते हैं. इसी दिन खालसा पन्थ की स्थापना हुई थी।
बिहू 2023
असम में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है। अप्रैल के मध्य में बोहाग बिहू मनाया जाता है। इसमें लोग मौसम की पहली फसल को अपने देवी-देवता को अर्पित करते हैं और ईश्वर से भविष्य में फसलों की अच्छी पैदावार की कामना करते हैं।
खरमास 2023
सूर्य के मीन राशि में रहने पर एक माह तक खरमास लग जाते हैं। मेष संक्रांति से खरमास खत्म हो जाते हैं। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन और सभी 16 संस्कार शुरू हो जाते हैं।
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