समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। अक्षय शब्द का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो। इस दिन किया जाने वाले शुभ काम का कभी क्षय नहीं होता है। लंबे समय तक उसका फल मिलता रहता है। इस बार 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया का पर्व रहेगा। इस दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं- सर्वार्थ सिद्ध योग, शोभन योग और रवि योग।


सूर्य को अर्घ्य दें
रक्त चंदनादि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में जल भरकर उस जल से सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
दीप जलाएं
नदी के तट पर और पूजा स्थल पर दीप जलाकर श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मी की पूजा करें।
दान पुण्य
गुड़, चावल, घी, जल का घड़ा, गन्ना या ठंडाई, जौ, दही, सत्तू, सूती वस्त्र आदि दान करें। इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
लक्ष्मी माता
पीत वस्त्रासन, पंचमुखी घृत का दीपक, स्फटिक की माला से उत्तराभिमुख हो रात्रि के समय ‘ऊँ कमलवासिन्यै श्री श्रियै हृीं नमः’ की 108 माला जपें। सामने प्रतिष्ठित श्री यंत्र या महालक्ष्मी यंत्र रखें। रक्तपुष्प, कमल गट्टा आदि दूध से बने पदार्थ का नैवेद्य लगाकर तथा संभव हो तो 1 माला अंत में हवन करे। पश्चात यंत्र को उठाकर गल्ले या तिजोरी में रख दें। रजत या ताम्र पात्र में कमल गट्टे भरकर तथा उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर केशर से चावल रंगकर प्रति यंत्र 1-2 दाने चढ़ाते जाएं तथा वे सभी चावल इकट्ठे कर बाद में कन्याओं को खीर बनाकर खिलाएं।
11 कौड़ियों का उपाय
अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखे इसमें देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता होती है। इनका प्रयोग तंत्र मंत्र में भी होता है। देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां समुद्र से उत्पन्न हुई हैं।





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