समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार देवोत्थान/ देव उठनी/ देव प्रबोधिनी एकादशी अत्यंत पवित्र तिथि मानी गई है। यह तिथि बहुत शुभ है, अतः इस दिन तन-मन, धन की पवित्रता को बनाए रखने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए। आपके लिए मन, कर्म और वचन की थोड़ी सी भी अशुद्धि जीवनभर परेशानी का कारण बन सकती है।
आइए यहां जानते हैं कौन से 11 कार्य हैं, जो शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन बिलकुल भी नहीं करने चाहिए।
दातून करना
एकादशी पर दातून/ मंजन करने की भी मनाही है। इस निषेध के शास्त्रसम्मत कारण नहीं मिलते हैं।
रात में सोना
एकादशी की पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। इस रात को सोना नहीं चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा/ तस्वीर के निकट बैठकर भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए, इससे भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
पान खाना
एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।
जुआ खेलना
जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई मानी गई है। इस दिन जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। ऐसे स्थान पर अनेक बुराइयां उत्पन्न होती हैं। इसलिए सिर्फ आज ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।
परनिंदा/ दूसरों की बुराई करना
परनिंदा यानि दूसरों की बुराई करना। ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए।
चुगली करना
चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी किसी की भी चुगली नहीं करना चाहिए।
चोरी करना
चोरी करना पाप कर्म माना गया है। चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।
झूठ बोलना
झूठ बोलना एक व्यक्तिगत बुराई है। जो लोग झूठ बोलते हैं, उन्हें समाज व परिवार में उचित मान-सम्मान नहीं मिलता। इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं अन्य दिनों में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
हिंसा करना
एकादशी के दिन हिंसा करने की मनाही है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।
क्रोध या गुस्सा
एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए, इससे मानसिक हिंसा होती है। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए।
स्त्री संग
एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है, क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहिए।
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