समाचार सच, अध्यायत्म डेस्क। भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र का विशेष महत्व है। मान्यता है कि शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन बेल पत्र चढ़ाते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है, वरना पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिएकृ
बेल पत्र की शुद्धता का ध्यान रखें
शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले बेल पत्र को साफ पानी से धो लेना चाहिए। ऐसा करने से उसमें लगी धूल या किसी भी प्रकार की अशुद्धि दूर हो जाती है, और भगवान शिव इसे प्रसन्नता से स्वीकार करते हैं।
फटा हुआ बेल पत्र न चढ़ाएं
पूजा में ताजा और सही सलामत बेल पत्र का उपयोग करें। यदि बेल पत्र कहीं से फटा हुआ या खराब हो, तो उसे भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।
बेल पत्र पर चढ़ाने से पहले नाखून न लगाएं
बेल पत्र को तोड़ते या चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें नाखून न लगें। हिंदू धर्म में इसे अशुभ माना जाता है।
बेल पत्र की ऊपरी सतह न चढ़ाएं
बेल पत्र की चिकनी और चमकदार सतह नीचे (शिवलिंग की ओर) और उसकी पृष्ठ भाग ऊपर रखना चाहिए।
एक बार चढ़ाया गया बेल पत्र दोबारा न चढ़ाएं
शास्त्रों के अनुसार, पहले से चढ़ाए गए बेल पत्र को दोबारा शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। यदि आप उसे फिर से अर्पित करना चाहते हैं, तो पहले उसे गंगाजल से शुद्ध कर लें।
बेल पत्र तोड़ने का सही दिन और समय
बेल पत्र को रविवार और अमावस्या के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। इसे तोड़ने के लिए सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
तीन पत्तों वाला बेल पत्र चढ़ाना शुभ
भगवान शिव को तीन पत्तों वाला बेल पत्र अधिक प्रिय होता है। इसे त्रिशक्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक माना जाता है।
शिवलिंग पर विधिपूर्वक बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।


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