क्यों 4 माह के लिए योगनिद्रा में सो जाते हैं भगवान विष्णु, जानिए

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के साथ इसे देवशयनी एकादशी, हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं। अंग्रेजी माह के अनुसार इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को रहेगी। इस दिन से श्रीहरि विष्णु जी 4 माह के लिए पाताललोक के राजा बाली के यहां योगनिद्रा में सोने के लिए चले जाते हैं।।स्ैव् त्म्।क्रू देवशयनी एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं करें?

भगवान विष्णु के 4 माह सोने के पीछे कई कारण हैं

  1. इन 4 महीनों के दौरान पृथ्वी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, उतने दिन उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके।
  2. चार माह बारिश का समय रहता है। इस दौरान वार्षिक प्रलय रहती है। प्रकृति खुद को नए सिरे से तैयार करती है। सभी कुछ जलमग्न होता है। ऐसे में जीवन का पुनरू सजृन होता है। सृजन काल के 4 माह बाद श्रीहरि विष्णुजी पुनरू पालनहार की भूमिका में आ जाते हैं। इसलिए तब तक के लिए वे सो जाते हैं।
  3. उत्तरायण देवताओं का दिन होता है और दक्षिणायन देवताओं की रात होती है। सूर्य जब कर्क राशि में जाता है तब दक्षिणायन प्रारंभ होता है। इस दौरान देवता सो जाते हैं। दक्षिणायन में सूर्य का प्रकाश कम हो जाता है और दिन छोटे होने लगते हैं। इसलिए तब तक के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। ।स्ैव् त्म्।क्रू देवशयनी एकादशी के दिन 5 काम भूलकर भी न करें, वर्ना पछताना पड़ेगा
  4. ऐसा भी माना जाता है कि इस समय दुनिया में अंधकार छा जाता है। इस उथल-पुथल को संभालने में भगवान विष्णु इतना थक जाते हैं और वे 4 माह की निद्रा में चले चले जाते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु की जगह भगवान शिव ही सृष्टि का संचालन करते हैं।
  5. ऐसा भी कहते हैं कि भगवान वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि मांग कर उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान को वामनावतार के बाद पुनरू लक्ष्मी के पास जाना था परंतु भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बलि के यहां रहने लगे। तब माता लक्ष्मी ने बलि को अपना भाई बनाकर इस बंधन से मुक्त किया। इसी कारण अब श्रीहरि विष्णु पूरे साल के लिए नहीं सिर्फ 4 माह के लिए राजा बलि के यहां रहते हैं।

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