माटी की सेवा में सक्रिय तितियाल बंधु

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समाचार सच, हल्द्वानी। उत्तराखण्ड के पहाड़ों से पलायन कर चुके लोगों के लिए डॉ0 गोविंद सिंह तितियाल एक प्रेरणास्रोत हो सकते है। भले ही नौकरी व जीविकापार्जन के लिए वे अपनी माटी से बाहर बस गये हों लेकिन आज भी वे अपने गांव तथा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं। विशेषकर वे और उनके बड़े भाई डॉ. जीवन सिंह तितियाल आंखों के मरीजों पर केन्द्रित रहते हैं। जी.एस. तितियाल जहां सुशीला तिवारी अस्पताल में नेत्र रोग विभाग में प्रोफेसर व हेड हैं। वहीं उनके भाई डॉ. जीवन सिंह तितियाल नई दिल्ली के एम्स में राजेन्द्र प्रसाद नेत्र विभाग में कार्निया व रिफ्लेक्शन सर्जरी के हेड हैं। वे ‘आई’ सर्जरी में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं। तीदाम व कालिका से यहां तक तक पहुंचने में उन्होंने संघर्ष किया है। अपने अतीत व भावी योजनाओं पर उन्होंने संघर्ष किया है।
अतीत व भावी योजनाओं पर उन्होंने समाचार सच बेव पोर्टल के सम्पादक अजय चौहान व सहायक सम्पादक धीरज भट्ट से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश….

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प्र.- आप उत्तराखण्ड में कहां से हैं ?
उ0- मैं नेपाल, तिब्बत के सीमा पर स्थित तीदाम गांव से हूं। यह गांव धारचूला से 60 किलोमीटर दूर है। बाद में हमारे पूर्वज धारचूला के पास कालिका में आ गये थे।

प्र.-आपकी प्रारम्भिक शिक्षा कहंा पर हुई।
उ0- मेरी प्रारम्भिक शिक्षा दारमा घाटी के सुदूर गांव दुग्तू में हुई। यह हमारे गांव से 7 किलोमीटर दूर था। एक दिन में हमें 14 किमी पैदल चलना पड़ता था। हाईस्कूल मैंने जी0आई0सी0 धारचूला से किया।

प्र.-उच्च शिक्षा व व्यवसायिक शिक्षा कहां से प्राप्त की ? सुशीला तिवारी में आप कब से हैं।
उ0-मेरे पिताजी वायरलैस विभाग (लखनऊ पुलिस) में थे। लखनऊ से मैंने इंटर किया, एम.बी.बी.एस. की शिक्षा लाला लाजपतराय मेडिकल कालेज से 1995 में मेरठ और एम.एस. (नेत्र विज्ञान) में एस.एन. मेडिकल कालेज से 2000 में किया। 2001 से मैं एस.टी.एच. हल्द्वानी में सेवारत हूं।

प्र.- अभी तक आप कहां-कहां कैम्प लगा चुके हैं ?
उ0- अभी तक सोमेश्वर, बैजनाथ, देघाट, बागेश्वर, कपकोट, मुनस्यारी, डीडीहाट व गंगोलीहाट में कैम्प लगाये हैं। इसके अलावा धारचूला में अपनी मां उत्तमा देवी और पिता बी.एस. तितियाल की स्मृति में 6 कैम्प लगा चुके हैं। इसमें जिला अन्धता निवारण समिति का सहयोग लिया जाता है। कैम्प में मेरे भाई डॉ. जेएस तितियाल का सहयोग भी रहता है।

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प्र.- पहाड़ों में नेत्र रोगी बढ़ने के क्या कारण हैं ?
उ0- पहाड़ में नेत्र रोगी बढ़ने के कारण खान-पान तो दोषी है। इसके अलावा बीपी, शुगर भी कारण है।

प्र. युवा चिकित्सकों से क्या अपेक्षा रखते हैं ?
उ0 – युवा चिकित्सकों को अपने माटी ;मातृभूमि में कार्य करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उनमें दूसरे की सहायता करने काव जज्बा होना चाहिए।

प्र.- रिटायरमेंट आने के बाद आपकी क्या योजना है ?
उ0- रिटायरमेंट के बाद गांव में एक क्लीनिक बनाने का विचार है। जिससे धारचूला में गरीब व आम लोगों की इसका फायदा मिल सके।

प्र. अभी तक आपको क्या अवार्ड मिला है।
उ0- मुझे अभी तक विभिन्न अवार्ड मिल चुके हैं। जिनमें लखनऊ में ऑल इंडिया कम्यूनिटी आप्थेमेलाजी पुरस्कार 2015 में और 2017 में दैनिक जागरण द्वारा कुमाऊँ गौरव पुरस्कार मिला है।

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