उत्तराखण्ड सरकार का भवाली स्थित सेनीटोरियम को अन्य जनहित कार्य के उपयोग में लेने का मन

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-48 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित सेनीटोरियम में वर्तमान में 18 टीवी मरीज को 114 कर्मचारी व 3 चिकित्सक मौजूद
-मुख्य सचिव ने वित्त सचिव के साथ किया सेनीटोरियम का निरीक्षण
-अब देश व प्रदेश मे टीबी के इलाज की सुविधाये काफी स्थानों पर उपलब्ध : उत्पल कुमार सिह

समाचार सच, भवाली/नैनीताल। टीबी (क्षय रोग) के मरीजों का बेहतरीन इलाज के लिए देश दुनियां में मशहूर भवाली सेनीटोरियम को अब सरकार अन्य जनहित कार्य के उपयोग में लेने का मन बना रही हैं। ज्ञात हो कि 48 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित सेनीटोरियम में वर्तमान में 18 टीवी मरीज के लिये 3 चिकित्सक व 114 कर्मचारी तैनात है।

शनिवार को प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिह ने वित्त सचिव अमित नेगी के साथ शनिवार को दोपहर उक्त सेनीटोरियम का निरीक्षण किया। इस अवसर पर आयुक्त कुमायू मण्डल श्री राजीव रौतेला एवं जिलाधिकारी श्री सविन बंसल के अलावा स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारी भी मौजूद थे।

निरीक्षण के दौरान मुख्य सचिव श्री सिंह ने कहा कि 107 वर्ष पहले 1912 टीबी के ईलाज के लिए सेनीटोरियम आवोहवा को दृष्टिगत रखते हुये इसे स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि उस दौरान टीबी का ईलाज कही और उपलब्ध नही था। टीवी के सफल इलाज के लिए आबोहवा एक महत्वपूर्ण कारण रहा है। उस दौरान टीबी के ईलाज की नई पद्वतियां एवं औषधियां उपलब्ध नही थी। जितनी कि आज के दौर में टीबी के इलाज की दवाईयां एवं रिसर्च के परिणाम उपलब्ध हैं। उन्होने कहा कि देश के साथ ही उत्तराखण्ड के अधिकांश हिस्सों मे टीबी के बेहतर इलाज की सुविधायें उपलब्ध हैं। श्री सिंह ने बताया कि पहले सुविधायें उपलब्ध नही थी तब देश के कोने-कोने से टीबी के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए भवाली सैनीटोरियम रैफर किये जाते थे। उन्होने कहा कि अब देश व प्रदेश मे टीबी के इलाज की सुविधाये काफी स्थानों पर उपलब्ध होने के कारण आज के समय में भवाली सेनीटोरियम मे मात्र 18 मरीज ही ईलाज करा रहे है, जबकि इस सैनिटोयिम में 114 कर्मचारी के कार्यरत हैं।

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मुख्य सचिव ने कहा कि अब हर जगह टीबी का ईलाज उपलब्ध हो जाने के कारण सरकार सेनीटोरियम का उपयोग किसी अन्य जनहित के कार्य किये जाने के लिए मंथन कर रही है। जिससे जनता को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव से बजट बढ़ाये जाने की मांग
जिलाधिकारी सविन बंसल ने जानकारी देते हुये बताया कि सेनीटोरियम 48 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित है। उन्होने बताया कि यहां पर भर्ती मरीजों को बजट के अभाव में सुगमता से नाश्ता व भोजन देने मे कठिनाई हो रही है। विगत वित्तीय वर्षाे की भी देनदारियां शेष है। उन्होने बताया कि सेनीटोरियम में 114 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत है जो कि काफी संख्या मेें है लेकिन मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए पैरामेडिकल स्टाफ तथा चिकित्सकों के काफी पद खाली पडे है। वर्तमान मे केवल 03 चिकित्सक ही कार्य कर रहे हे। उन्होने मुख्य सचिव से बजट बढाये जाने तथा रिक्त पदोें के सापेक्ष तैनाती की बात कही। जिलाधिकारी ने सेनीटोरियम से सम्बन्धित भू अभिलेख तथा मानचित्र भी प्रस्तुत किये। उन्होने मुख्य सचिव को बताया कि विगत वर्षाे सेनीटोरियम तथा राजस्व की जो भूमि इमामी तथा लक्मे फर्म को आवंटित हुई थी वह राजस्व भूमि माननीय उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका के परिपेक्ष में सेनीटोरियम को वापस किये जाने के लिए आदेश पारित किये है। शासन द्वारा माननीय न्यायालय के आदेशों के क्रम में सेनीटोरियम को राजस्व भूमि आवंटित करने की बात कही।

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निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार, एसएसपी सुनील कुमार मीणा, अपर जिलाधिकारी एसएस जंगपांगी, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ डा0 संजय साह, सीएमओ डा0 भारती राणा, प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डा0 तारा आर्या, सेनीटोरियम के प्रभारी सीएमएस डा0 रजत कुमार भटट, चिकित्सक डा0 शशिबाला, उपजिलाधिकारी गौरव चटवाल आदि मौजूद थे।

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