समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। चांदी की पायल और बिछिया को सुहाग से जोडकर देखा जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पायल ना केवल पैरों की खूबसूरती को बढाती है, बल्कि इसका सेहत पर भी सकारात्मक असर होता है। भारतीय प्राचीन ज्योतिषियों के अनुसार चांदी का संबंध चंद्रमा से है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की आंखों से चांदी की उत्पत्ति हुई थी, जिसके कारण चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भारतीय संस्कृति में चांदी की पायल का खास महत्व है। लेकिन मिश्र और मध्य पूर्वी देशों में इसे सेहत से जोडकर भी देखा जाता है। मिश्र और मध्य पूर्वी देशों में ऐसी मान्यता है कि पायल पहनने से शारीरिक और मानसिक सेहत पर सकारात्मक असर होता है और इसके लिये वह वजह भी बताते हैं। आप भी जानिये कि चांदी की पायल पहनने से आपकी सेहत को कैसे लाभ मिलता है।
शरीर से नहीं निकलती ऊर्जा
चांदी एक प्रतिक्रियाशील धातु है और यह किसी के शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को वापस शरीर में लौटाती है। हमारी अधिकांश ऊर्जा हाथों और पैरों से हमारे शरीर को छोड़ती है और चांदी, कांस्य जैसी धातुएं एक बाधा के रूप में कार्य करती हैं, जिससे ऊर्जा को हमारे शरीर में वापस लाने में मदद मिलती है। यानी चांदी का छल्ला, बिछिया और पायल हमारी ऊर्जा को बाहर नहीं निकलने देती। इसलिये पायल पहनने या बिछिया पहनने से ज्यादा ऊजावान और अधिक सकारात्मकता महसूस होती है।
सोने की पायल क्यों नहीं पहनते
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के अनुसार, चांदी पृथ्वी की ऊर्जा के साथ अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करती है, जबकि सोना शरीर की ऊर्जा और आभा के साथ अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए, चांदी को पायल या पैर की अंगुली के छल्ले/बिछिया के रूप में पहना जाता है, जबकि सोने का उपयोग शरीर के ऊपरी हिस्सों को सजाने के लिए किया जाता है।
कीटाणुनाशक खूबियां
इतिहास पर नजर डालें, तो चांदी की पहचान इसके जीवाणुरोधी गुणों के लिए की गई थी। हजारों साल पहले, जब नाविक लंबी यात्राओं पर यात्रा करते थे, तो वे अपने साथ चांदी के सिक्के ले जाते थे, उन सिक्कों को पानी की बोतलों में रख देते थे। वे चांदी वाला पानी पीते थे, क्योंकि यह एक अच्छा कीटाणुनाशक था। चांदी के आयन, बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और यही एक प्रमुख कारण है कि टियर-2 और 3 शहरों में भी महिलाएं चांदी की पायल में निवेश करती हैं।
पैरों को कमजोर नहीं होने देती
इसके अतिरिक्त, महिलाएं रसोई में खड़े होकर घंटों काम करती हैं। शाम तक अक्घ्सर उनके पैरों और पीठ में दर्द हो जाता है। चांदी रक्त संचार में सहायता करती है। वह पैरों को कमजोर नहीं पडने देती।
प्रतिरोधक क्षमता बढती है – इन लाभों के अलावा चांदी की पायल हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढाने और हार्माेनल बैलेंस में भी मददगार होती है। यह एक कारण है कि हमारे देश में विवाहित महिलाएं चांदी की बिछिया पहनती हैं, क्योंकि यह गर्भाशय को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है और मासिक धर्म के दर्द को भी कम करती है।
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