समाचार सच, जानकारी डेस्क। सनातनी वैदिक परम्परा से इतर आर्य वैदिक परम्परा के तहत जिले का एक अनोखा गांव मनिया जहां आज भी लड़कियां जनेऊ धारण कर पुरुष के समानांतर खड़ी दिखती है। सनातनी धर्मावलंबियों द्वारा इसका विरोध भी होता रहा हैए परंतु मनिया घांव के लोग इसकी परवाह नही करते। ऐसा नहीं है कि यह शदियों पुरानी परम्परा है।
इस की शुरुआत 1972 में आर्य समाज के संत पंडित हरिनारायण आर्य द्वारा गांव की नौ लड़कियों को प्रथमवार यज्ञोपवित कर एक मानक को स्थापित किया था एऔर इसी स्थल पर मनिया गांव के आचार्य विश्वनाथ सिंह ने अपनी भूमि को दानस्वरूप देते हुए यहा दयानंद आर्य हाई स्कूल की स्थापना की थी। तभी से हर साल आर्य वैदिक रीतीरिवाज के अनुसार बसंत पंचमी के बाद षष्टि तिथि को ग्रामीणों द्वारा चयनित लडकियों का जनेऊ संस्कार किया जाता है।
बीते मंगलवार को सरस्वती पूजा के बाद सुबह मनिया गांव में भव्य समारोह आयोजित कर विद्यालय के प्रांगन में यज्ञ का आयोजन कर नौ लडकियों का जनेऊ संस्कार किया गया। इस बाबत ग्रामीणों का कहना है कि सरकार भले ही नारियों को पुरुष सता के बराबर हक दिए जाने को लेकर प्रयास रत है। बावजूद अब भी समाज में कुछ सनातनी धर्मिक परम्पराए हैए जो बाधा उत्पन्न करती है। सनातनी परम्परा के तहत जनेऊ सिर्फ और सिर्फ पुरुष वर्ग ही धारण करेगा जबकि इसके लिए महिलाए अशुद्ध मानी गई है। मूलतः आर्य वैदिक परम्परा के पोषक मनिया के ग्रामीण अपने इस परम्परा का आज भी पालन करते दिख रहे है।
जनेऊ धारण करने वाली लड़कियां अपने आचरण को शुद्ध रखने के साथ साथ प्रतिदिन आंशिक ही सही पर वेद पाठ किया करती है। शौच क्रिया के पश्चात शारीरिक शुद्धता अनिवार्य होता है। अशुद्ध शरीर में जनेऊ को धारण करना वर्जित होता है यथा संभव साकाहारी रहने का वर्त भी लिया जाता है।
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